Editorial : खण्डित होते समाज और सम्प्रदाय
Editorial: Disintegrating society and sect
Editorial : धरती सूरज की परिक्रमा करती रहती है, सूरज अपनी धरती के लिए तपता रहता है। सूरज और धरती की मैत्री से प्राणीमात्र का अस्तित्व है। ईरान-इजराइल युद्ध को लेकर पूरी दुनिया एक बार फिर संकटों से घिरती नजर आ रही है। जबकि रूस उक्रेन युद्ध के 2साल से ज्यादा हो गए लेकिन कभी तक ख़त्म नहीं हुआ इससे दोनों राष्ट्र को नुकसान हो रहा है और विश्व की अर्थव्यवस्था गरबड़ा गई है जिन राष्ट्रों के बीच मैत्री है, वे सुखी, सम्पन्न, समृद्ध राष्ट्र हैं।
वास्तव में यह संकटपूर्ण स्थिति है। पति-पत्नी के बीच मैत्री है, परिवार के सदस्यों के बीच मैत्री है, तो एक स्वस्थ सुखी परिवार है, जैसे ही किसी भी स्तर पर यह मैत्री खण्डित होती है, परिवार बिखर जाता है। जहाँ राष्ट्र के अन्दर अथवा पड़ोसी राष्ट्रों से मैत्री नहीं है वहाँ निरन्तर अशान्ति और दरिद्रता होती है। समाज में मैत्री है, तो एक स्वस्थ खुशहाल समाज कहा जाता है। समाज और सम्प्रदायों में मैत्री खण्डित हो जाए, तो दंगे और फसाद होने लगते हैं। छात्र और शिक्षक के बीच में मैत्री है, तो विद्या अच्छी है, विद्यालय अच्छे हैं, परिणाम अच्छे हैं, आजीविका है अन्यथा विपरीत परिणाम भी देखे जा सकते हैं।
वास्तव में यह तनाव और तनातनी उस समय चरम पर जा पहुंची जब इजराइल के 1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हवाई हमले से ईरान के एक वरिष्ठ जनरल सहित सेना के सात अधिकारी मारे गए। उसी दिन इजराइल को दंडित करने की घोषणा, ईरान द्वारा सार्वजनिक रूप से कर दी गई थी। ईरान ने इसका ध्यान रखते हुए 13 दिन बाद आखिरकार, इजराइल की कार्रवाई का बदला लिया। इस बहुउद्देशीय हमले का प्रमुख लक्ष्य इजराइल के एअर डिफेंस सिस्टम को कमजोर करना रहा। ईरान ने इस हमले को ऑपरेशन टू प्रॉमिसÓ नाम दिया और कहा कि यह इजराइल के अपराधों की सजा है। इस घटना से सतर्क इजराइल ने अपने आयरन ड्रोन एयर डिफेंस सिस्टम भी एक्टिव किए जो अधिकांश हमलों को नाकाम करने में सफल रहे।
Editorial : लोकतंत्र के महापर्व
हमास ने इजराइल पर ईरान के हमले का स्वागत किया है, और कहा कि यह एक प्राकृतिक अधिकार और योग्य प्रतिक्रिया है। ईरान ने इजराइल के साथ ही अमेरिका को भी चेतावनी दी है कि इजराइली सैन्य कार्यवाही का समर्थन न करे। यदि अमेरिका इजराइल को सहयोग देगा तो अमेरिकी ठिकानों को भी निशाना बनाया जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल के प्रधानमंत्री से नेतन्याहू से कहा है कि अमेरिका इजराइल के किसी भी जवाबी हमले का विरोध करेगा और किसी भी जवाबी कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेगा। क्या इजराइली प्रधानमंत्री अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के लिए जवाबी कार्रवाई करके दुनिया के लिए संकट का एक नया द्वार खोल देंगे। इजराइल काउंटर कार्रवाई करता है तो निश्चित रूप से युद्ध का सिलसिला बढ़ता ही जाएगा।