Diwali 2023 : परिवार के साथ खुशियां बांटने का त्योहार है दीपावली
Diwali is a festival of sharing happiness with family.

Diwali 2023 : भारतीय संस्कृति का यही लक्ष्य है कि, जीवन का प्रत्येक क्षण व्रत, पर्व और उत्सवों के आनंद एवं उल्लास से परिपूर्ण हो। रोशनी का पर्व दीपावली सनातन धर्म का प्राचीन पर्व है। यह प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली शब्द का अर्थ है दीपों की अवली अर्थात दीपों की पंक्ति। इस दिन घर को दीपों से सजाया जाता है। एक साथ असंख्य दीपों की जगमगाती माला से संपूर्ण वातावरण प्रकाशित हो उठता है। घर-घर में लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा की जाती है। लोग इस दिन आपसी द्वेष को भूल कर एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।
दीयों और रोशनी का त्योहार, खुशियों और उल्लास का पर्व, मेलों-ठेलों का पर्व और वह भी कोई एक या दो दिन का नहीं पूरे पांच रोज का। दीपावली का त्योहार धनतेरस से शुरू होता है और भैया दूज तक लगातार पांच दिन तक चलता है। पूरे देश में यह त्योहार समान रूप से मनाया जाता है। बच्चों के लिए यह दिन विशेष खुशी का दिन होता है। बच्चे नए कपड़े पहन कर रात्रि में जी भरकर पटाखे चलाते हैं और घूमते हैं। पूरा शहर रोशनी में स्नान करता नजर आता है।
इस पर्व के साथ अनेक धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यह पर्व श्रीराम के लंकापति रावण पर विजय हासिल करके और चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है और असत्य का नाश होता है।
दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। सही मायने में दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है, जब हम हमारे भीतर का अंधकार दूर करें, क्योंकि अंधकार को केवल प्रकाश से ही दूर किया जा सकता है। इस पर्व का प्रत्येक भारतीय उल्लास एवं उमंग से स्वागत करता है। दीपावली का न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, भौतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है।
भगवान महावीर का निर्वाण दिवस- दीपावली, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का आसुरी शक्तियों पर विजय के पश्चात अयोध्या आगमन का प्रकाशोत्सव – दीपावली, तंत्रोपासना एवं शक्ति की आराधक मां काली की उपासना का पर्व- दीपावली, धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना का पर्व- दीपावली, ऋद्धि-सिद्धि, श्री और समृद्धि का पर्व- दीपावली, ज्योति से ज्योति जलाने का पर्व- दीपावली। यह पर्व हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की गौरव-गाथा है।
दीपोत्सव हजारों सालों से मनाया जाता हैं। दीपावली का उल्लेख पुराणों में भी मिलता हैं जिसने दिए को सूर्य के हिस्सा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीक के रूप माना जाता हैं। सूर्य का प्रकाश जीवनदाता हैं ऊर्जा प्रदान करता हैं जिसे प्रतीकात्मक रूप से दियों से प्रदर्शित किया जाता हैं। जब भी हम किसी देवता का पूजन करते हैं तो सामान्यतः दीपक जलाते हैं।
हिन्दू/सनातन संस्कृति में दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है। हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है और हम जलाते हैं। जब हम हमारे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है।
आध्यात्मिक पहलू से दीपक ही मनुष्य को अंधकार के जंजाल से उजाले की किरण की ओर ले जाता है। इस दीपक को जलाने के लिए तिल का तेल या फिर घी का इस्तेमाल किया जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में दीपक जलाने के लिए खासतौर से घी का उपयोग करने को ही प्राथमिकता दी जाती है। घी के अलावा तिलों के तेल से दीपक जलाया जाता है।
पंचामृत का महत्व (Diwali 2023)
पूजा के समय घी का दीपक उपयोग करने का आध्यात्मिक कारण बताया है कि पूजन में पंचामृत का बहुत महत्व है और घी उन्हीं पंचामृत में से एक माना गया है। इसीलिए घी का दीपक जलाया जाता है। अग्नि पुराण में भी दीपक को किस पदार्थ से जलाना चाहिए, इसका उल्लेख किया गया है। इस पुराण के अनुसार, दीपक को केवल घी या फिर तिलों के तेल से ही जलाना चाहिए।
दीपक जलाने के लिए घी का उपयोग करने के पीछे केवल शास्त्र ही नहीं विज्ञान भी ज़ोर देता है। शास्त्रीय विज्ञान में अहम माने जाने वाले वास्तु शास्त्र विज्ञान के अनुसार घी से प्रज्ज्वलित किया हुआ दीपक अनेक फायदों से पूरित होता है। ज्योतिष के अनुसार दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है। जन्म-कुंडली के अनुसार दोषों को दूर करने के लिए अनेक उपायों में से एक होता है घी द्वारा जलाया हुआ दीपक।
घी का दीपक जलाने से वास्तुदोष भी दूर होते हैं (Diwali 2023)
ऐसी भी मान्यता है कि घर में घी का दीपक जलाने से वास्तुदोष भी दूर होते हैं। क्योंकि यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को लाने की काम करता है। पूजा की थाली या आरती के समय एक साथ कई प्रकार के दीपक जलाये जा सकते हैं। संकल्प लेकर किया गये अनुष्ठान या साधना में अखण्ड ज्योति जलाने का प्रावधान है। अग्नि पुराण, ब्रम्हवर्तक पुराण, देवी पुराण, उपनिषदों तथा वेदों में गाय के घी तथा तिल के तेल से ही दीपक जलाने का विधान है, अन्य किसी भी प्रकार के तेल से दिपक जलाना निषेध है।
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा (Diwali 2023)
दीपावली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां
लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव सभी की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण
होती है। दीपावली परिवार के साथ खुशियां बांटने का त्योहार है। इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य एक साथ घर
रहकर खुशियों व हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनातें हैं। सभी पाठकों को पंचदिवसीय दीपावली महोत्सव की हार्दिक
बधाई एवं शुभकामनाएं।
डॉ.पवन शर्मा