Editorial : कूटनीतिक मोर्चे पर सफलता

Editorial: Success on the diplomatic front

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Editorial: Success on the diplomatic front

Editorial : पहलगाम आतंकी हमले में आतंकियों ने तीर्थयात्रियों और स्थानीय नागरिकों को निशाना बनाया, जिसमें 26 लोग मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मदऔर लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर डाली गई, जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था। इस घटना ने पूरे भारत में आक्रोश की लहर पैदा कर दी।

इस हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने सटीक और नियंत्रित हमले किये। भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30, राफेल फाइटर जेट्स और ब्रह्मोस तथा स्कैल्प मिसाइलों का उपयोग कर बहावलपुर, कोटली, मुजफ्फराबाद, मुरीदके और अन्य स्थानों पर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।

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ऑपरेशन केवल 23 मिनट में पूरा हुआ, जो भारतीय सेना की तकनीकी क्षमता और रणनीतिक योजना को दर्शाता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर के पुंछ में 10 नागरिकों की मौत हो गई और 33 लोग घायल हुए।

इसके अलावा, पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों, जैसे श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, और चंडीगढ़ में ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, लेकिन भारत के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 13 देशों के राजदूतों को ब्रीफिंग दी, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन की आवश्यकता और सटीकता को स्पष्ट किया।

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भारत ने यह सुनिश्चित किया कि वैश्विक समुदाय को यह संदेश जाए कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की शुरुआत। अजीत डोभाल ने अमेरिका, रूस और अन्य प्रमुख देशों को स्पष्ट किया कि हमले केवल आतंकी ठिकानों पर किए गए।

भारत ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में संयमित और तथ्य-आधारित भाषा का उपयोग किया। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी महिला अधिकारियों द्वारा ब्रीफिंग देना भारत की संवेदनशीलता और समावेशिता का प्रतीक था।

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