Editorial : तीन तत्वों से पृथ्वी और प्रकृति का निर्माण
Editorial: Earth and nature are created from three elements

Editorial : जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण प्रकृति एवं पर्यावरण पर गहरे संकट है। हमारे स्वास्थ्य, हमारे परिवारों, हमारी आजीविका और हमारी धरती को एक साथ संरक्षित करने का समय आ गया है। विश्व भर में हर जगह प्रकृति का दोहन एवं शोषण जारी है। जिसके कारण पृथ्वी पर अक्सर उत्तरी ध्रूव की ठोस बर्फ का कई किलोमीटर तक पिघलना, सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकने वाली ओजोन परत में छेद होना, भयंकर तूफान, सुनामी और भी कई प्राकृतिक आपदाओं का होना आदि ज्वलंत समस्याएं विकराल होती जा रही है, जिसके लिए मनुष्य ही जिम्मेदार हैं।
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पृथ्वी दिवस पहली बार सन् 1970 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील एवं पृथ्वी के संरक्षण के लिये जागरूक करना है। पृथ्वी दिवस पूरे विश्व में 22 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिवस के माध्यम से ऐसे विचारों एवं जीवनशैली को संगठित करना है जिससे पर्यावरण नीति निर्माता सरकारों को प्रेरित करें ताकि पर्यावरणीय स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए कानूनों और प्रथाओं में बदलाव हो सके एवं वैज्ञानिक नवाचारों और हरित प्रौद्योगिकियों के विचार को बल देते हुए पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने और भविष्य में स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा सके।
जल, जंगल और जमीन इन तीन तत्वों से पृथ्वी और प्रकृति का निर्माण होता है। यदि यह तत्व न हों तो पृथ्वी और प्रकृति इन तीन तत्वों के बिना अधूरी है। विश्व में ज्यादातर समृद्ध देश वही माने जाते हैं जहां इन तीनों तत्वों का बाहुल्य है। आधुनिकीकरण के इस दौर में जब इन संसाधनों का अंधाधुन्ध दोहन हो रहा है तो ये तत्व भी खतरे में पड़ गए हैं।
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अपने-अपने स्वार्थ के लिए पृथ्वी पर अत्याचार रोकना होगा और कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर ध्यान केंद्रित करना होगा। अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से औद्योगिक क्रांति पर नियंत्रण करना होगा, क्योंकि उन्हीं के कारण कार्बन उत्सर्जन और दूसरी तरह के प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव-जंतु, प्राकृतिक स्रोत एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं, जिससे पृथ्वी असंतुलित हो रही है।