नई पद्धतियों और अध्ययन के तौर—तरीकों की खोज के लिए युवा फिजिशियनों को प्रोत्साहित किया जाए: डॉ. दीपक गोविल
नई दिल्ली। अपनी स्थापना की 28वीं वर्षगांठ मनाने के अवसर पर इंडियन सोसायटी फॉर क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आईएससीसीएम) ने भारतीय चिकित्सकों को निकट भविष्य में क्लिनिकल शोध में अग्रणी रखने के प्रयास के लिए दो दिवसीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया। बुद्धिजीवियों के इस विमर्श में फिजिशियनों, विशेषज्ञों, नर्सों और तकनीशियनों समेत चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े 150 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।
चिकित्सा से जुड़े समस्त पेशेवरों ने उन दिलेर योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जिनकी जिंदगी निर्दयी महामारी ने असमय ही छीन ली। साथ ही सभी पेशेवरों ने उनके निधन से परिजनों को हुई अपूरणीय क्षति की भरपाई का भी संकल्प लिया। इस विमर्श में अस्पतालों में क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) का महत्व बताया गया, जो मरणासन्न स्थिति के मरीजों की जान बचाने के लिए जीवनदायिनी साबित हुई। सत्र में यह भी बताया गया कि कुशल और तकनीकी रूप से उन्नत ऐसे केंद्रों की सख्त जरूरत होने के बावजूद इस मुद्दे पर कभी चर्चा नहीं हुई।
आईएससीसीएम का एकमात्र मकसद क्रिटिकल केयर मेडिसिन के क्षेत्र में निरंतर शिक्षा, ज्ञान का विस्तार और दक्षता विकास को जारी रखना है। इसका प्राथमिक कार्य क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सभी प्रैक्टिसनरों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना है ताकि शैक्षणिक हितों पर नियमित चर्चा के साथ ही नई अवधारणों और विचारों को भी कार्यान्वित किया जा सके।
इंडियन सोसायटी फॉर क्रिटिकल केयर मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. दीपक गोविल ने कहा, ‘हमारी शोध शाखा बहुत ही सक्रिय है और बड़ी तेजी से आधार बना रही है। इस लिहाज से हमारा मानना है कि देश में नई पद्धतियों और अध्ययन के तौर—तरीकों की खोज के लिए युवा फिजिशियनों को प्रोत्साहित किया जाए और इस क्षेत्र के वरिष्ठ सहयोगियों के मार्गदर्शन में मौजूदा पद्धतियों में सुधार लाने के साधन तलाशे जाएं। देश में क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों, नर्सों और तकनीशियनों की भारी कमी है और यह हकीकत कोविड 19 महामारी के दौरान सामने उभर कर आई। आईएससीसीएम इस कमी को पाटने के लिए शैक्षणिक और दक्षता विकास दोनों तरीके से कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मददगार रही है। भारत सरकार को जिला एवं तालुका स्तर पर पूर्ण रूप से अत्याधुनिक पद्धतियों पर संचालित होने वाली आईसीयू स्थापित करने की जरूरत है और इनमें जितनी जल्दी हो सके प्रशिक्षित कर्मियों को ही नियुक्त किया जाए ताकि टर्शियरी केयर सेंटरों से दबाव कम हो सके। इंटेंसिव केयर को आम आदमी के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनाया जाना चाहिए।
इसी मकसद के साथ आईएससीसीएम आगे बढ़ रही है और अपने ज्ञान और दक्षता से इसमें योगदान कर रही है।’
भारतीय क्रिटिकल केयर निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और इस वक्त हमें सिर्फ विश्व के समक्ष इसे बड़े पैमाने पर साबित करना है। आईएससीसीएम के कार्यों और प्रयासों को एमसीआई ने मान्यता प्रदान की है लेकिन अभी भी लंबा सफर तय करना है। 15000 से अधिक क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों को साथ रखते हुए आईएससीसीएम सभी फिजिशियनों का संरक्षक और मार्गदर्शक बनी हुई है और उन्हें क्रिटिकल केयर मेडिसिन में विशेषज्ञ कोर्स की परीक्षा या शोध मामलों पर कार्य करने के लिए उन्हें तैयार कर रही है।
साथ ही आधुनिक पद्धतियों और क्रिटिकल केयर दक्षताओं में खुद को अपडेट रखने वाले फिजिशियनों की भी मदद कर रही है। सरकारी संस्थाओं के साथ आईएससीसीएम के एकीकृत कार्य निश्चित रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार लाने में मदद करेंगे। इस साल आईएससीसीएम दिवस मनाने का थीम कोविड 19 महामारी की त्रासदी से पीड़ित चिकित्सा पेशेवरों का साथ देना है। दो दिवसीय सम्मेलन में चित्रकारी, फोटोग्राफी, ई—पोस्टर, आशु प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा।
आपके कैरियर की शुरुआत से लेकर अंत तक क्रिटिकल केयर में चिकित्सा शिक्षा एक निरंतर प्रक्रिया है। इसी तरह प्रौद्योगिकी तरक्की भी एक निरंतर प्रक्रिया है और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों को इस केंद्र में इस्तेमाल होने वाले आधुनिक उपकरणों के बारे में अपडेट रहना चाहिए। इस संगठन की मुख्य गतिविधि इस क्षेत्र के दिग्गजों द्वारा पूरे साल सेमिनार और अब वेबिनार (महामारी के दौर में) नियमित अंतराल पर शैक्षणिक व्याख्यान आयोजित कराना है।