संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा : महान सूफ़ी-संत ने हमारे जीवन को जागृत किया

संत दर्शन सिंह जी महाराज (1921-1989) की जन्म शताब्दी समारोह के शुभ अवसर पर एक ऑन लाइन कार्यक्रम उनकी याद में आयोजित किया गया। उनका जन्म 14 सितंबर, 1921 को हुआ था। इस कार्यक्रम में संत दर्शन सिंह जी महाराज के जीवन, उनकी शिक्षाओं और विरासत के रूप में जो वो हमें दे गए हैं, उसे याद किया गया। सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि, ”संत दर्शन सिंह जी महाराज दिव्य-प्रेम के महासागर थे और उन्होंने अपनी शिक्षाओं के ज़रिये लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को बदलकर प्रभु की ओर कर दिया।“

यह ऑन लाइन कार्यक्रम आदरणीया माता रीटा जी के गुरुबानी शब्द गायन से शुरू हुआ। उन्होंने सिक्खों के तीसरे गुरु, गुरु अमरदास जी महाराज की वाणी से ‘सत्गुरु की सेवा सफल है, जै को करे चित लाए“  शब्द का गायन किया। उसके पश्चात संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अमेरिका से यू-ट्यूब पर लाइव टेलीकास्ट के ज़रिये दिव्य-प्रेम और रूहानियत का संदेश समस्त मानवजाति को दिया।

इस अवसर पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने पावन संदेश में कहा कि, 14 सितंबर, 1921 को प्रभु की यह रोशनी पूर्व से उठी और पूरी दुनिया में फैल गई और उसने हरेक के दिलों को, जो भी उनके संपर्क में आया खुशी और आनंद से भर दिया। संत दर्शन सिंह जी महाराज के लिए बाहरी मतभेद कोई मायने नहीं रखते थे। वे कहा करते थे कि हम सब पिता-परमेश्वर की संतान हैं, इस करके वे हम सभी से प्रेम करने के लिए आए थे। वे अपने समय के महान सूफी-संत थे, उनका जीवन निष्काम सेवा और रूहानियत के प्रति समर्पित था। वे स्वयं प्रभु के प्रेम से ओत-प्रोत थे इसलिए वे यह चाहते थे कि हम भी प्रभु के उस दिव्य प्रेम का अनुभव करें।“

”संत दर्शन सिंह जी महाराज चाहते थे कि हम सब अपने जीवन के मुख्य उद्देश्य जोकि अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाना है को इसी जीवन में पूरा करें। वे चाहते थे कि हम अपने असली अस्तित्व जोकि आत्मिक है, के प्रति जागृत हों और उसका अनुभव करने के लिए दिव्य-प्रेम के मार्ग को अपनाएं।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि, ”अगर हम सही मायनों में संत दर्शन सिंह जी महाराज की जन्म शताब्दी को मनाना चाहते हैं तो जो रास्ता उन्होंने हमें दिखाया, उस रास्ते पर हमें चलना चाहिये। वे दया के महासागर थे, उनकी पूरे विश्व के लिए यही इच्छा थी कि प्रभु का दिव्य-प्रेम जो वे हमें देने आए थे, उससे सभी पूरा-पूरा फायदा उठाएं। अपनी चार विश्व यात्राओं के ज़रिये उन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभु की ओर कर दिया। ऐसे संत-महापुरुष हमारे जीवन को जागृत करने आते हैं इसलिए हमें चाहिये कि हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में ढालें।“ उनके इस पावन संदेश को यू-ट्यूब पर हजारों लोग देख व सुन रहे थे।

इस अवसर पर शांति अवेदना सदन, राज नगर नई दिल्ली में कैंसर पीड़ित रोगियों को, जंगपुरा में स्थित मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी, जीवन ज्योति होम और सराय काले खां में स्थित मानव मंदिर मिशन ट्रस्ट में बच्चों को मिशन की ओर से दवाईयाँ, फल-सब्जियाँ व अन्य उपयोगी वस्तुओं का मुफ्त वितरण किया गया।

संत दर्शन सिंह जी महाराज ने सन् 1974 में हजूर बाबा सावन सिंह जी महाराज और परम संत कृपाल सिंह जी महाराज के नाम पर ”सावन कृपाल रूहानी मिशन“ की स्थापना की। उन्होंने अध्यात्म की शिक्षा को एक नए अंदाज में पेश किया। जिस करके हजारों लोग उनसे दीक्षा लेने के लिए प्रेरित हुए और उन्होंने अपनी दयामेहर से उन्हें प्रभु की ज्योति और श्रुति जोड़ दिया।

संत दर्शन सिंह जी महाराज को भारत के एक महान सूफी शायर के रूप में जाना जाता है। उनको दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश की उर्दू अकादमियों द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है।

 दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज के 30 मई, 1989 को महासमाधि में लीन होने के पश्चात उनकी रूहानी शिक्षाओं और कार्यभार को उनके सुपुत्र और वर्तमान आध्यात्मिक गुरु संत राजिन्दर सिंह जी महाराज संभाल रहे हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज आज संपूर्ण विश्व में ध्यान-अभ्यास द्वारा प्रेम, एकता व शांति का संदेश प्रसारित कर रहे हैं। जिसके फलस्वरूप उन्हें विभिन्न देशों द्वारा अनेक शांति पुरस्कारों व सम्मानों के साथ-साथ पाँच डॉक्टरेट की उपाधियों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सावन कृपाल रूहानी मिशन के आज संपूर्ण विश्व में 3200 से अधिक केन्द्र स्थापित हैं तथा मिशन का साहित्य विश्व की 55 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। इसका मुख्यालय विजय नगर, दिल्ली में है तथा अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नेपरविले, अमेरिका में स्थित है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button