सही डायग्नोसिस और सही समय पर इलाज से बची मरीज की जान

बेहोश होने पर महिला के चेहरे, होठ, शरीर में असामान्य अकड़न हो जाती थी, इसलिए उसे अस्पताल में ऑक्सीजन की जरूरत महसूस की गई। पहले समझा गया कि वह मानसिक रूप से बीमार है, क्योंकि अपने साथ वाली बेड पर किसी मरीज की मौत हो जाने के बाद से ही उसके लक्षण बढ़े थे। उनकी जांच की गई तो पता चला कि कोविड से उपजी मनोविकृति के कारण दौरा पड़ता है। उन्हें एंटीबायोटिक, एंटीफंगल और एंटीसीजर दवाइयों पर रखा गया।
गुरुग्राम स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कहा, ’विस्तृत जांच से पता चला कि उनका एमआरआई और सेरेब्रोस्पाइन फ्लड लेवल सामान्य था, लेकिन उन्हें अधिक ऑक्सीजन देना जरूरी था। उनकी स्थिति को देखते हुए एंटी-सीजर दवाइयां बढ़ा दी गईं और उन्हें पल्स स्टेरॉयड पर रखा गया। धीरे-धीरे दौरा पड़ने की समस्या कम होने लगी और वह होश में आने लगी तो ऑक्सीजन सपोर्ट से हटा दिया गया।
वह परिवार से बात करने की स्थिति में आ गई और इंजेक्शन निकालने से पहले कमरे में शिफ्ट कर दिया गया ताकि चल-फिर सके और जल्दी डिस्चार्ज किया जा सके। मामूली कोविड मामलों में बेहोशी और मिरगी के मामले बहुत कम ही होते हैं, लेकिन अधिक गंभीर मामलों में यह स्थिति आ सकती है।’
हालांकि जिन मरीजों को मिरगी की शिकायत पहले से नहीं है, उनमें कोविड से उबरने के बाद दौरा पड़ने की समस्या का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। मरीजों पर गंभीर कोविड संक्रमण के प्रभावों को लेकर अभी शोध हो रहे हैं।