Editorial : सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को उजागर
Editorial: Flaws in security system exposed

पहलगाम हमले को राजनीतिक चश्मे से देखने की प्रवृत्ति स्वाभाविक है, खासकर तब जब भारत में हर घटना को सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच वोट बैंक की राजनीति से जोड़ा जाता है। कुछ नेताओं ने इस हमले को धार्मिक आधार पर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की, जबकि अन्य ने सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठाए।
आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, उनकी धार्मिक पहचान पूछी, और हिंदू नामों वाले लोगों पर गोलियां चलाईं। यह रणनीति न केवल सांप्रदायिक तनाव को भड़काने की कोशिश थी, बल्कि कश्मीर के पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाने और भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करने का प्रयास भी था।
पहलगाम हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को उजागर किया। खुफिया जानकारी की कमी, पर्यटक स्थलों पर अपर्याप्त सुरक्षा, और आतंकियों की घुसपैठ की आसानी ने सवाल उठाए। यह हमला भारत के लिए एक रणनीतिक अवसर है सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने का। यह भारत के लिए अपनी खुफिया एजेंसियों, जैसे रॉ और आईबी, को और सशक्त करने का अवसर है।
रणनीतिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत को कई चुनौतियों का सामना करना होगा। पहला, आंतरिक राजनीतिक मतभेद इस प्रक्रिया को जटिल बना सकते हैं। विपक्षी दलों द्वारा हमले को सरकार की विफलता के रूप में चित्रित करना रणनीतिक एकजुटता को कमजोर कर सकता है।
पहलगाम आतंकी हमला एक दुखद घटना है, लेकिन इसे केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से देखना भारत के दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह हमला भारत के लिए अपनी सुरक्षा, कूटनीति, और सैन्य रणनीति को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में हुई उच्च-स्तरीय बैठकों में थल, जल, और वायु सेना के विकल्पों पर चर्चा हुई। यह भारत के लिए सर्जिकल स्ट्राइक या अन्य लक्षित कार्रवाइयों के माध्यम से आतंकी ठिकानों को नष्ट करने का अवसर है। साथ ही, सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।