Editorial : कैनेडा के इतिहास में एक नया अध्याय
Editorial: A new chapter in Canada's history

Editorial : पहली बार पॉलिटिक्स में आए मार्क कार्नी लिबरल पार्टी के मुखिया चुने गए। इस समय अमरीका और केनेडा के बीच ट्रेड युद्ध चल रहा है। अभी जो प्रधान मंत्री है जस्टिन ट्रुडो उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा छेड़े गए इस युद्ध का जैसे को तैसे जवाब दिया है। अमेरिकाने कैनेडा से आने वाले सामन पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया तो ट्रुडो ने भी अमेरिका से आनेवाले सामान पर उतना ही आयाति शुल्क लगाया।
लिबरल पार्टी के मुखिया मार्क कार्नी कैनेडा के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। इसी वर्ष अक्टूबर में केनेडा के आम चुनाव होना तय है। मतलब उनके पास कुछ कर दिखाने के लिए केवल चंद महीने का समय है। इतने कम समय में वह क्या कर सकेंगे यह तो समय बताएगा। मार्क पॉलिटिशियन नहीं है। वह तो एक बेंकर है। एक अर्थशाष्त्री है।
भारत मे जैसे रिज़र्व बैंक है वैसे केनेडा की बैंक है। मार्क सेन्ट्रल बैंक ऑफ केनेडा के गवर्नर रह चुके हैं। उस से पूर्व वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के भी गवर्नर रह चुके हैं, किसी भी देश की अर्थ निति को समझने का उन के पास बड़ा अनुभव है। वह एक टॉप लेवल के अधिकारी रह चुके हैं।
एक अर्थशाष्त्री होते हुए उन्हें अच्छी तरह पता है कि सनकी ट्रम्प से कैसे निपटा जा सकता है। अब एक बड़ा सवाल यह है कि अक्टूबर में होने वाले चुनाव में क्या मार्क खुद और अपने पक्ष को जीता पाएंगे? उन्हें पॉलिटिक्स का बिलकुल अनुभव नहीं है। क्या वे अंदर और बाहर के लोगों से जीत पाएंगे? उन कि तुलना भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री मनमोहम सिंह से की जा रही है। कार्नी 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ केनेडा के गवर्नर रहे।
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2008 की विश्व मंदी के समय ट्रुडो से मिल कर उन्होंने केनेडा को संभाला था। उन के इस कार्य को लोग आज तक नहीं भूले हैं। शायद यही कारण है कि लोगों ने उन में विश्वाश जताया है। कार्नी स्वयं भले ही एक पॉलिटिशियन नहीं है लेकिन उन के पक्ष में कई लोग हैं जो उन को सही सलाह दे सकते हैं। कार्नी को चाहिए कि वे अपने पहले चुनाव में उन की राय का सन्मान करे। कार्नी एक ऐसे केनेडियन है जिन के पास केनेडा केआलावा इंग्लैंड और आयरलैंड की भी नागरिकता है।