Editorial : सोशल नेटवर्किंग साइट्स का युग

Editorial : Age of Social Networking Sites

Editorial : Age of Social Networking Sites
Editorial : Age of Social Networking Sites

Editorial : हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है। समय बदला तो होली त्योहार मनाने का ढंग व स्वरूप भी बदल गया। पहले फाल्गुन के महीना शुरू होते ही चंग, बांसुरी, डफ, ढ़ोल, नगाड़ा, स्वांग निकालना, होली पर धमाल गीत, हुड़दंग बाजी, हंसी-ठिठोली होती थी, आज भी होती है लेकिन पहले की तुलना में काफी कम है।

डिजिटल प्रगति के साथ इन सबमें अभूतपूर्व कमी आई है और हमारे तीज-त्योहार भी अब कहीं न कहीं इस अंधी डिजीटलीकरण व्यवस्था में रच-बस से गये हैं। आज सोशल मीडिया जैसे वाटसअप, फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम पर ही अपने यार- दोस्तोंन, रिश्तेदारों और परिजनों को गुलाल-अबीर (रंग) और रंग-बिरंगी पिचकारी भेज कर होली का डिजिटल आनंद लेते हैं। और तो और किसी मैसेज की भांति ही अब तो तीज-त्योहारों के अवसरों पर मिठाई तक भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स के ज़रिए ही भेज दी जाती है।

होली पर भी ऐसा ही कुछ हो रहा है, किया जा रहा है। आज का युग सोशल नेटवर्किंग साइट्स का युग है, इंटरनेट, मल्टीप्लेक्स, एंड्रॉयड मोबाइल फोन, लैपटॉप-कंप्यूटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) या यूं कहें कि सूचना क्रांति, तकनीक और नवाचारों को अपनाने का युग है। ऐसे युग में वर्तमान में हमारी युवा पीढ़ी होली के दिन नशा करने, देर रात्रि तक डीजे पर डांस करने, और फूहड़ तथा पाश्चात्य संस्कृति के गीतों पर एंजॉय करने में ही अपनी वाहवाही समझते है।

Read Also : Editorial : दिल्ली की राजनीति में अब सवाल

आज के समय में हमारा देश तेजी से डिजीटलीकरण की ओर अग्रसर हो रहा है। रंगों के इस त्यौहार पर कोई भी अपने प्रियजनों, रिश्तेदारों को अपनी पसंद के रंगीन स्टिकर्स भेजकर, पिचकारी व डिजिटल मिठाई भेजकर होली की बधाई दे सकते हैं। इसका सीधा सा मतलब यह है कि आज के समय में डिजिटल तकनीकों ने सूदूर निवास करने वाले अपने प्रियजनों, रिश्तेदारों के लिए बिना उनसे शारीरिक रूप से मिले ही होली के रंग खेलना, शुभकामनाएं व मिठाई भेजना और हंसी-ठिठोली करना संभव बना दिया है।

Join Our Whats-app Group

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button