Editorial : स्वच्छता अभियान के सार्थक परिणाम
Editorial: Meaningful results of cleanliness campaign
Editorial : स्वच्छता को लेकर प्रशासन के साथ आम नागरिकों में भी जुनून सवार है तभी तो मध्य प्रदेश का इंदौर शहर भारत में सबसे स्वच्छ शहर का तमगा लेकर 7 सालों से शीर्ष पर बना हुआ है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए गए स्वच्छता अभियान के सार्थक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। पूरे भारत में आम जनता की सक्रिय भागीदारी से खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित कर दिया गया। गांव-गांव और शहर- शहर में स्वच्छता को लेकर होड़ सी लग गई और इसके परिणाम स्वरूप गांव, जिला और प्रदेश सहित समूचे भारत में स्वच्छता की बयार बहने लगी। स्वच्छ भारत मिशन में पेयजल उपलब्ध कराना भी एक महत्वपूर्ण कारक है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन चलाया जा रहा है। शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के साथ घर से निकलने वाले सूखे, गीले, जैव अपशिष्ट और इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिक अपशिष्ट के व्यवस्था शुरू करने से शहरी स्वच्छता में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। घर से निकलने वाले सभी तरह के कचरे को घर से ले जाने के लिए सभी नगरीय क्षेत्रों में माकूल व्यवस्था की गई है। देश में रिसायकल नहीं हो सकने वाली पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। स्वच्छता के लिये तीन आर यानि रिड्यूस, रियूज और रिसायकल अर्थात आवश्यकता कम करना, पुन: उपयोग करना और पुनर्चक्रीकरण पर बल दिया गया है।
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इस प्रयास से आम नागरिकों के व्यवहार में भी परिवर्तन दिखाई दे रहा है। भारत में इस समय चलाया जा रहा स्वच्छता ही सेवा – 2024 एक राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान है जो स्वच्छ और स्वस्थ भारत के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है। इस अभियान की विषयवस्तु स्वभाव स्वच्छता और संस्कार स्वच्छता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले मकानों में शौचालय बनाना अनिवार्य कर दिया जिससे स्वच्छता अभियान को नया आयाम मिला और गरीबों विशेषकर महिलाओं को सम्मान। इसका परिणाम यह हुआ कि सन 2014 में जहां देश में शौचालयों का प्रतिशत करीब 40 था, जो अब बढ़कर करीब 97 प्रतिशत हो गया है।