Editorial : ई-पुस्तकों का महत्व
Editorial: Importance of e-books
Editorial : हर साल 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। किताबें पढ़ने की आदत मनुष्य के जीवन को लगातार विकसित करता हैं। पुस्तक पढ़ने से मस्तिष्क तेज होकर स्वयं विचार कर कुछ नया ज्ञान खोजने की शक्ति मिलती हैं। लिखने का कौशल, भाषा कौशल सुधरता है। हम जीवन में अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ते हैं, नयी जानकारी और ज्ञान मिलता है। भूलने की बीमारी से काफी हद तक दूर रहते हैं।
आज के समय में ई-पुस्तकें बहुत आसानी से उपलब्ध हैं, लेकिन वे कागजी पुस्तकों का स्थान नहीं ले सकतें। बहुत से लोग ऑनलाइन पुस्तकें तो डाउनलोड करते है, लेकिन उसे पूरा पढ़नेवाले बहुत कम होते हैं। ई-पुस्तकें हमें पढ़ने के लिए प्रेरित नहीं करती, बल्कि बहुत बार बोझिल महसूस होती हैं। कागजी पुस्तकों की भांति ई-पुस्तकों से लगाव या प्रेरणा की कमी लगती हैं, इनसे हम भावनिक रूप से जुड़ नहीं पाते। कागजी पुस्तकें पाठ्य संस्कृति को बढ़ावा देने में मुख्य सहायक है।
ई-पुस्तकों में हम अधिकतर सिर्फ सीमित सूचनाओं को पढ़कर फिर भूल जाते हैं, जबकि कागजी पुस्तकों में पढ़ते वक्त विषय की गहराई में जाकर समस्या का हल ढूंढते हैं। कागजी पुस्तकें पेड़ कटवाते हैं, लेकिन ई-पुस्तकें भी बिजली खर्च करवाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
पुस्तकों का ज्ञान आत्मसात करने के लिए पढ़ते वक्त ध्यान और नजर पुस्तक पर एकाग्र करनी होती हैं, परन्तु इलेक्ट्रॉनिक साधनों की स्क्रीन पर लगातार ध्यान केंद्रित करना कुछ समय पश्चात तनाव, सिरदर्द, दृष्टिदोष का कारण हो सकता हैं, क्योंकि कंप्यूटर की स्क्रीन आँखों की रोशनी को प्रभावित करती हैं।
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ई-पुस्तक की आसानी से उपलब्धता, समय की बचत, आसान संग्रहण होने के बावजूद पुस्तक का मुख्य उद्देश्य पुस्तकों में मौजूद पूरा ज्ञान पाठकों द्वारा आत्मसात करना यह कागजी पुस्तकों के मुकाबले ई-पुस्तक में पूर्णता नजर नहीं आता।