पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान को दिया अस्थायी प्रांत का दर्जा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने के ऐलान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान की ओर जबरन कब्जा किए गए भारतीय भूभाग में किसी भी बदलाव को भारत खारिज करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा दोहराया कि गिलगित बाल्टिस्तान सहित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि पाकिस्तान इन क्षेत्रों का दर्जा बदलने की बजाय अवैध कब्जे को खाली करे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ”1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत संघ में वैध, पूर्ण और बेबदल विलय की वजह से पाकिस्तान सरकार का जबरन कब्जाए गए भूमि पर हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। अवैध कब्जे को छिपाने के लिए पाकिस्तान की ओर से इस तरह के प्रयास से पाक अधिकृत क्षेत्र में रह रहे लोगों के साथ सात दशक से मानवाधिकारों के उल्लंघन और आजादी से वंचित रखने को छिपाया नहीं जा सकता है।” प्रवक्ता ने कहा कि इन भारतीय क्षेत्रों का दर्जा बदलने की बजाय पाकिस्तान तुरंत अवैध कब्जे को खाली करे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने का ऐलान किया है। उन्होंने यह घोषणा उस दौरान की, जब गिलगित-बाल्टिस्तान में लोग इमरान सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। इमरान खान ने अस्थायी प्रांत का ऐलान करते हुए कहा, ”मेरे गिलगित-बाल्टिस्तान आने के पीछे की वजहों में से एक यह ऐलान करना है कि हमने गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थायी प्रांत बनाने का निर्णय किया है।” पाकिस्तान का ऐलान सऊदी अरब के उस कदम के बाद आया है, जब हाल ही में उन्होंने पाकिस्तान के मैप से गिलगित-बाल्टिस्तान को हटा दिया था। बीते लंबे समय से पाकिस्तान की इमरान सरकार के खिलाफ गिलगिल-बाल्टिस्तान के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। लोग इमरान सरकार का जमकर विरोध करते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तानी सरकार के इस फैसले के बाद स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन और बड़े स्तर पर भड़क सकते हैं। इससे पहले, 8 अक्टूबर को पीओके के मुजफ्फराबाद शहर में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और स्टूडेंट लिबरेशन फ्रंट ने सरकार के गिलगिल-बाल्टिस्तान के संभावित फैसले के खिलाफ जमकर विरोध किया था। इस दौरान, इमरान खान के खिलाफ खूब नारेबाजी भी हुई थी। वहीं, पॉलिटिकल एक्टिविस्ट्स का कहना है कि वे बलिदान देने को तैयार हैं, लेकिन पाकिस्तान को क्षेत्र की स्थिति में बदलाव नहीं करने देंगे। गिलगित-बाल्टिस्तान के वे लोग, जो दूसरे शहरों में रह रहे हैं, उन्होंने भी इस्लामबाद के फैसले के खिलाफ सड़क पर उतरने का फैसला लिया है।