फादर्स डे पर सोनी सब के कलाकारों की राय

राजेश वागले की भूमिका निभा रहे सुमीत राघवन ने कहा, “फादर्स डे पर अगर मैं काम नहीं कर रहा होता हूँ, तो आमतौर पर घर पर अपने बच्‍चों के साथ समय बिताता हूँ। मेरा मानना है कि मैं एक व्‍यवहारिक पिता हूँ, पर्दे के पीछे और पर्दे पर भी, अपने बच्‍चों सखी और अथर्व के लिये। मुझे मेरे पिता से बहुत लगाव है, मेरे लिये वह सुपरहीरो हैं। मुझे यकीन है कि ऐसा कहने वाला मैं पहला बच्‍चा नहीं हूँ, लेकिन मेरे पिता असल में हीरो हैं, जिन्‍होंने मेरे व्‍यक्तित्‍व को वास्‍तव में आकार दिया है। मेरे पिता में कई गुण हैं, मैंने उन्‍हें कभी किसी पर भी गुस्‍सा होते या पगलाते नहीं देखा। 87 साल की उम्र में भी उनकी जिंदादिली बरकरार है! उनका मंत्र है शांत रहना और मस्‍ती करना। वह सचमुच मेरे जीवन के सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं। मैं अपने जीवन में उनके कुछ गुणों को अपनाने और अभ्‍यास में लाने का प्रयास करता हूँ, जैसे मजबूत रहना, धैर्य रखना और जीवन में आने वाली कई बाधाओं से उभरकर निकलना। और यही विरासत मैं अपने बच्‍चों को भी देना चाहता हूँ। अपने प्रशंसकों से यही कहूंगा कि कृपया अपने माता-पिता का आदर करें, क्‍योंकि वह आपके गुरू हैं और उन्‍हें प्‍यार और देखभाल का एहसास देना हमारा कर्तव्‍य है।”

अमर विद्रोही की भूमिका निभा रहे सावी ठाकुर ने कहा, “मैं इस दिन की शुरूआत अपने रॉकस्‍टार पिता को फादर्स डे की ढेर सारी शुभकामनाएं देकर करना चाहता हूँ! दुर्भाग्‍य से हम काम के कारण अलग-अलग शहरों में हैं और इसलिये हम साथ मिलकर फादर्स डे नहीं मना पाएंगे, लेकिन मैं जानता हूँ कि उनका सहयोग और आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है। वह मेरे आदर्श हैं और एक पिता के तौर पर सर्वश्रेष्‍ठ हैं! उन्‍होंने हमारे परिवार के लिये जो कुछ भी किया है, उसका ऋण हमेशा मेरे ऊपर रहेगा और मैं जब भी उनके बारे में सोचता हूँ, मुझे काफी सकारात्‍मक ऊर्जा मिलती है। उनके साथ मेरी सबसे अच्‍छी यादों में से एक यह है कि जब मैं दूसरी कक्षा में पढ़ता था, तब उन्‍होंने मुझे नई मॉन्‍स्‍टर गन देकर सरप्राइज दिया था। यह वही गन थी जिसे पाने की इच्‍छा बहुत लंबे समय से थी पर उन्‍होंने मुझे यह खरीदने से इनकार कर दिया था क्‍योंकि वह जरूरी नहीं थी। हम साथ में वॉलीबॉल, बैडमिंटन, क्रिकेट खेला करते थे और कभी-कभी साथ में कसरत भी करते थे। मेरे पिताजी ने हमेशा जीवन में अनुशासित और समर्पित रहने पर जोर दिया है और मैं हमेशा इन गुणों को साधने की कोशिश करता हूँ। मैं अपने सभी प्रशंसकों से आग्रह करता हूँ कि कृपया अपने माता-पिता की देखभाल करें और उनका आदर करें, वह हमारे अस्तित्‍व का कारण हैं और उन्‍हें पूरा सम्‍मान दिया जाना चाहिये।”

सोनी सब के ‘धर्म योद्धा गरुड़’ में तक्षक की भूमिका निभा रहे अंगद हसीजा ने कहा, “मैं बहुत छोटा था जब मेरे पिता इस दुनिया से चले गये, लेकिन मेरा मानना है कि मेरे तौर-तरीके बहुत कुछ उनके जैसे हैं। जैसे कि मुझे याद है मेरे पिता एक जेंटलमैन थे, हमेशा विनम्र रहते थे, अच्‍छा व्‍यवहार करते थे और सभी को ‘आप’ कहकर सम्‍बोधित करते थे। मैं भी ऐसा करता हूँ और यह गुण अपनी बेटी को भी दूंगा कि वह सभी के लिये दया और आदर का भाव रखे। हम अक्‍सर मेरे पिता को याद करते हैं और मुझे अपने अंकल और माँ से मेरे पिता की कहानियाँ सुनना बहुत अच्‍छा लगता है।

एक पेरेंट के चले जाने से बच्‍चे का दिल खाली हो जाता है, लेकिन जब से मेरे पिता नहीं रहे, मेरी माँ हमारा सहारा रही हैं। उन्‍होंने बड़े साहस के साथ माता और पिता, दोनों की भूमिका निभाई और उनकी मजबूती का मैं सदा आभारी रहूंगा। मेरे पिता एक मेहनती कर्मचारी थे, वह हमें 2 दिनों की छुट्टी पर ले जाते थे और तीसरे दिन काम पर लौट जाते थे। जब मैं बच्‍चा था, तब मुझे यह अच्‍छा नहीं लगता था, लेकिन बड़ा होने के बाद से मैं भी अपने काम को वैसी ही ऊर्जा और वही कोशिश देना चाहता हूँ। मुझे यकीन है कि एक एक्‍टर के तौर पर मैंने जो भी पाया है, उस पर मेरे पिता को गर्व
होगा। एक कहावत है कि माता-पिता का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है और मुझे इस कहावत पर पूरा विश्‍वास है। तो मैं अपने सभी प्रशंसकों से अनुरोध करूंगा कि वे अपने माता-पिता का आदर करें और उनकी देखभाल करें।”

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