सच्चाई से भरपूर जीवन कैसे जियें?- संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

How to live a life full of truth? - Sant Rajinder Singh Ji Maharaj

How to live a life full of truth? - Sant Rajinder Singh Ji Maharaj
How to live a life full of truth? – Sant Rajinder Singh Ji Maharaj

इस दुनिया में आए सभी संत-महात्माओं ने हमें एक सच्चाई से भरा हुआ जीवन व्यतीत करने की शिक्षा दी है क्योंकि सच्चाई के द्वारा हमारा अंतःकरण साफ होता है जिससे कि हम अपनी विफलताओं के प्रति भी ईमानदार होते हैं। हम अपनी गलतियों को दूसरों से छुपा सकते हैं लेकिन अपने आपसे नहीं। अपनी कमजोरियों को नज़रअंदाज़ करना या अपनी गलतियों के लिए मन को गलत ख्यालों से संतुष्ट करना हमें किसी भी प्रकार से मददगार साबित नहीं होता। हम अपने आपको बचाने के लिए कुछ भी कहें या लोगों की निगाहों में अपनी हकीकत से ज्यादा अपने आपको बेहतर पेश करें, पर सच्चाई यह है कि यह कुछ समय के लिए तो हमें ठीक लग सकता है लेकिन यह सब हमारी तरक्की में किसी भी प्रकार से मददगार नहीं है।

हम दूसरों से तो अपना सच छुपा सकते हैं लेकिन प्रभु हमें हर क्षण, हर पल देख रहे हैं। हम अपनी सच्चाई उस पिता-परमेश्वर से नहीं छुपा सकते। यदि हम प्रभु की सत्ता से जुड़ना चाहते हैं तो उसके लिए हमें अपने दाग या दोष मिटाने होंगे यानि कि अपने जीवन को नेक-पाक और सदाचारी बनाना होगा। इन दागों को हम श्रृंगार कला के द्वारा छिपा कर सुंदर नहीं बना सकते क्योंकि प्रभु तो हमारे अंतर की असलियत को जानते हैं। हमें अपनी कमजोरियों को पहचनना है, उनको स्वीकार करना है और फिर लगन और मेहनत से उनको खत्म करना है।

जब हम किसी डॉक्टर के पास जाते हैं तो हम अच्छे-अच्छे कपड़े पहनते हैं ताकि हम देखने में अच्छे लगें लेकिन हम यह भी जानते हैं कि इनसे डॉक्टर का कुछ भी लेना-देना नहीं है। डॉक्टर को दिलचस्पी सिर्फ हमारे ब्लड प्रेशर, नब्ज़ और हमारे शरीर के अंगों की कार्य प्रणाली से होती है, उसको हमारी बाहरी दिखावट से कुछ मतलब नहीं होता। ऐसे ही जब हम स्कूल में जाते हैं और परीक्षा में बैठते हैं तो हम अपनी दिखावट को आकर्षक बनाकर जाते हैं जबकि हम इस सच्चाई को अच्छी तरह जानते हैं कि अध्यापक को हमारी परीक्षा के नतीजे में रूचि होती है न कि हमारी बाहरी सुंदरता में।

ठीक इसी प्रकार परमात्मा हमें इस योग्य बनाता है कि हम उनकी गोद में बैठ सकें। हम बाहरी रूप से तो अपने दोषों को छुपा सकते हैं लेकिन प्रभु को हमारी रूहानी लगन में दिलचस्पी होती है। प्रभु हर समय हमारे उन दाग-धब्बों को हटाने में मददगार होते हैं जो हमें इस भौतिक शरीर से ऊपर उठने के समय बाधा उत्पन्न करते हैं। प्रभु को हमारी बाहरी दिखावटी चरित्र से कोई मतलब नहीं होता। हम दिखावे के तौर पर अपनी उपलब्धियों पर गुमान करते हैं लेकिन प्रभु हमें इससे भी आगे देखते हैं। वे हमारी असली हालत को जानते हैं। उनका मतलब सिर्फ हमारी उन खामियों को दूर करने में सहायता करना है जो हमारी रूहानी मंज़िल के रास्ते में बाधा उत्पन्न करती हैं।

हम ईमानदारी से अपने आपका मुआयना करें और अपने आपकी आलोचना उसी लहजे में करें जैसे कि हम दूसरों की करते हैं। तब हमें अपनी गलतियों का अहसास होगा और हम उनको ठीक कर सकेंगे। गलतियों के अहसास करने का यह मतलब नहीं है कि हम अपने आपको कोसें या मारें। यह चिंता करने का विषय भी नहीं होता। यह वो विषय है जिसमें हमें अपनी खामियों को बड़ी बारीकी से देखना है। उनको दूर करने का समाधान ढूंढना है और अपने आपमें सुधार लाना है। चिंता और दोषी होने का अहसास हमें मददगार साबित नहीं होता। यह सिर्फ अपना बहुमूल्य समय बर्बाद करने वाली बात है, जो हमारी एकाग्रता को हमारे लक्ष्य से दूर करती है।

हमें अपनी गलतियों को बड़े खुले दिमाग से स्वीकार करना है। इस बात का अहसास करना है कि इंसान होने के नाते गलती होती है और फिर ऐसी योजना बनानी है जिससे कि हमारे अंदर बदलाव आ सके ताकि हम दोबारा गलती न करें। हमें दूसरों और अपने आपकी गलतियों को माफ कर देना चाहिए और उन्हें भूल जाना चाहिए। हमें एक बार गलती का अहसास करके उसको ठीक करना है। हम जितनी देरी से अपनी गलती की वास्तविकता को जानने में करते हैं, उतनी ही देरी हमारी रूहानी तरक्की में होती है। कोई भी हमारी गलती को देखता नहीं है लेकिन हमारे अंतर में बैठे प्रभु सब कुछ देखते हैं।

हम जो कुछ भी करते हैं उसको हम दूसरों और अपने आपसे छुपा सकते हैं लेकिन हम अपने किए कर्मों को प्रभु से नहीं छुपा सकते। हम दुनिया को अपना खूबसूरत चेहरा दिखा सकते हैं लेकिन प्रभु हमारी अंतर की वास्तविकता को देखते हैं और हमें तब तक अपनी गोद में नहीं लेते, जब तक हम पवित्र नहीं हो जाते। हमें प्रभु की सत्ता से जुड़ने के लिए अपने आपको पवित्र करना होगा। इस रहस्य को हम जितनी जल्दी जान लें, यह हमारे लिए उतना ही अच्छा है।

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आओ! हम अपने जीवन में सच्चाई और ईमानदारी के गुणों को ढालें। हमें अपने लेन-देन में ईमानदार होना चाहिए तथा साथ ही साथ हमें धोखा-धड़ी और दिखावे के चंगुल से भी बचना चाहिए। जिसके लिए हमें अपनी आजीविका बड़ी ही ईमानदारी से कमानी चाहिए। हमें अपने आपके प्रति भी ईमानदार होना चाहिए ताकि हम अपने आपमें आवश्यक बदलाव ला सकें। अगर हम अपने अंदर सच्चाई के गुण को ढालेंगे तो हम देखेंगे कि हम रूहानी पथ पर बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ना शुरू कर देंगे और अपनी मंज़िल पर बहुत जल्द पहुँच जाएंगे।

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