Editorial : जनता की उम्मीदों की कसौटी पर होगा पंजाब चुनाव 2025
Editorial: Punjab elections 2025 will be tested on the expectations of the public

Editorial : पंजाब में 2025 का विधानसभा चुनाव न केवल एक राजनीतिक प्रतिस्पर्धा है, बल्कि यह प्रदेश की दिशा और दशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। बीते वर्षों में पंजाब ने राजनीतिक अस्थिरता, बेरोजगारी, किसान आंदोलन, नशे की समस्या और युवाओं के पलायन जैसे गंभीर मुद्दों का सामना किया है। ऐसे में यह चुनाव केवल सरकार बदलने का माध्यम नहीं, बल्कि व्यवस्था में व्यापक सुधार की एक नई शुरुआत हो सकता है।
पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने अप्रत्याशित बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाई थी और पारंपरिक पार्टियाँ जैसे कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को करारी शिकस्त मिली थी। आप की सरकार से जनता को भ्रष्टाचार-मुक्त शासन, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार, नशे पर नियंत्रण और युवाओं को रोजगार देने जैसी उम्मीदें थीं। अब जबकि सरकार को बने तीन साल से अधिक हो चुके हैं, जनता इन वादों की हकीकत को भी देख रही है।
दूसरी ओर, विपक्षी पार्टियाँ भी इस बार नए तेवर और रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। कांग्रेस और अकाली दल अपने खोए जनाधार को वापस पाने के लिए जनता से संवाद बना रही हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी पंजाब में अपने प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। किसान संगठनों और युवाओं के समूहों की राजनीतिक सक्रियता भी इस चुनाव को अधिक रोचक और बहुआयामी बना सकती है।
यह चुनाव केवल जातीय समीकरणों या पार्टी प्रचार के आधार पर नहीं, बल्कि वास्तविक मुद्दों के समाधान की नीति पर आधारित होना चाहिए। पंजाब की जनता अब ऐसे नेताओं को देखना चाहती है जो केवल भाषण नहीं, समाधान प्रस्तुत करें। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि, उद्योग, जल संकट और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे इस बार के चुनावी एजेंडे में प्रमुखता से शामिल होने चाहिएं।