मुख्यमंत्री की मौजूदगी में अब 29 मई को सालवन गांव में भव्य रूप से मनाई जाएगी महाराणा प्रताप जयंती : योगेंद्र राणा
गांव वही, स्थान वही और मुख्य अतिथि वही, अब 29 मई को होगा पूर्व में स्थगित कार्यक्रम – डॉ. एन.पी. सिंह

जंगशेर राणा, चंडीगढ़
हरियाणा के सालवन गांव में महाराणा प्रताप जयंती का आयोजन अब 29 मई को भव्य स्तर पर किया जाएगा। पहले यह कार्यक्रम 9 मई को प्रस्तावित था, लेकिन देश में उत्पन्न आपात स्थिति के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था। अब यह आयोजन 29 मई को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा। यह जानकारी राजपूत धर्मशाला करनाल प्रधान डॉ एनपी सिंह के द्वारा दी गई।
विधायक योगेंद्र राणा ने कहा कि महाराणा प्रताप न सिर्फ एक समाज के, बल्कि समूचे भारतवर्ष के गौरव हैं। उनके साहस, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। उनका जीवन आज भी समाज को दिशा देने वाला है।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री श्याम सिंह राणा समेत राजपूत समाज के कई प्रमुख चेहरे भाग लेंगे। आयोजन की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और गांव सालवन इस जिम्मेदारी को गौरव के साथ निभाने को पूरी तरह तैयार है।
हजारों की संख्या में उमड़ेगा जनसैलाब, युवाओं में दिखा जोश
राजपूत समाज करनाल के प्रधान एनपी सिंह, सालवन के मास्टर रिछपाल राणा, सुभाष राणा और असंध के राजपूत सभा के प्रधान रणबीर सिंह ने बताया कि आयोजन का उद्देश्य युवाओं को महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा के आदर्शों से परिचित कराना है। युवाओं में कार्यक्रम को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है।
आयोजन के लिए विशाल पंडाल और व्यापक व्यवस्थाएं की जा रही हैं ताकि दूर-दराज से आने वाले हजारों लोगों को कोई असुविधा न हो। समिति का दावा है कि यह अब तक की सबसे बड़ी महाराणा प्रताप जयंती में से एक होगी।
समाज की एकजुटता से बन रहा ऐतिहासिक क्षण
इस आयोजन को सफल बनाने में गांव के सरपंच जयबीर राणा, सरपंच प्रतिनिधि सुरेंद्र सिंह, दीपक राणा, नरेश ठेकेदार, प्रवीन मुनक, नाथी राणा, नलनीश, विक्की, सुभाष, अनिल चौहान, अक्षय राणा, विजय राहड़ा, रामकुमार राणा, रणदीप, अमित, ऋषि, अनिरुद्ध, गुलशन, संग्राम सहित समाज के अनेक गणमान्य लोगों ने अपनी भूमिका निभाई है और आयोजन को सफल बनाने के लिए एकजुटता दिखाई है।
जयंती से जुड़ रही संस्कृति और एकता का संदेश
महाराणा प्रताप जयंती का यह आयोजन केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया है। यह कार्यक्रम समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने और अपने इतिहास पर गर्व करने का अवसर प्रदान कर रहा है।