Editorial : दिल्ली के बाद अब बिहार की बारी

Editorial: After Delhi, now it's Bihar's turn

Editorial : दिल्ली में चुनावी जीत का इंतज़ार कर रही भारतीय जनता पार्टी वनवास खत्म हुआ और दिल्ली की सत्ता हासिल हो गई है। दिल्ली के चुनाव परिणाम का असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ेगा। यहाँ इस साल की अंतिम तिमाही में बिहार में चुनाव होने हैं। हालांकि दिल्ली में भाजपा की जीत के बाद बिहार में समय से पहले ही चुनाव की चर्चा फिर शुरू हो गई है।

दिल्ली चुनाव परिणाम से एडीए ने नेताओं में खासा जोश है। महाराष्ट्र की तरह भाजपा बिहार में स्थिति मजबूत कर सकती है। बिहार में बिना नीतीश कुमार के चेहरे भाजपा चुनाव मैदान में नहीं उतर सकती है। उत्साह में भाजपा अपने सहयोगियों को दरकिनार आगे बढ़ने की गलती नहीं करेगी।

बिहार में गठबंधन का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल ही कर रही है। गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव न सिर्फ सीटों का बंटवारा करते हैं, बल्कि साथी दलों के उम्मीदवार का टिकट तक वितरण करते हैं। दिल्ली के चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताया थी।

लालू प्रसाद यादव, उमर अब्दुला , शरद पवार, अरविंद केजरीवाल आदि नेताओं ने समर्थन किया था। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में तकरार होती है या खटास बढ़ती है इसका असर महागठबंधन पर पड़ेगा। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल आधार वोटों में मुस्लिम मतदाता कॉमन हैं। असदुद्दीन ओवैसी पहले से ही मुस्लिम वोटों के बंटवारे का ट्रेलर दिखा चुके हैं।राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष कांग्रेस को किनारे कर सकता है।

गुजरात, पंजाब के बाद हरियाणा और दिल्ली में कांग्रेस ने जिस तरह विपक्षी एकता को तार-तार किया है, उसका खामियाजा तो उसे भोगना ही पड़ा, इंडिया ब्लॉक के साथी दलों से उसका तालमेल भी टूट गया। कांग्रेस ने भी हरियाणा और दिल्ली जैसा रुख अपनाया तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा तय है।

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