Editorial : लोकतंत्र की परीक्षा और राजधानी का भविष्य

Editorial: The test of democracy and the future of the capital

Editorial: The test of democracy and the future of the capital
Editorial: The test of democracy and the future of the capital

Editorial : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह न केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासन को निर्धारित करेगा बल्कि देशभर में राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित करेगा। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है। दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं, और यहाँ की राजनीति पिछले कुछ वर्षों से काफी दिलचस्प रही है।

2013 के चुनाव में आप ने पहली बार अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी, और 2015 में उसने अभूतपूर्व जीत हासिल की। 2020 में भी आप ने 62 सीटें जीतकर बीजेपी और कांग्रेस को लगभग हाशिए पर ला दिया था। अब 2025 के चुनाव में एक बार फिर यह देखने लायक होगा कि जनता का समर्थन किस ओर जाता है।

इस बार के चुनाव में विभिन्न दलों ने अपनी-अपनी रणनीति अपनाई। आप ने अपने विकास कार्यों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और मुफ्त सुविधाओं को अपने मुख्य चुनावी एजेंडे में रखा। वहीं, बीजेपी ने दिल्ली में कथित भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के आधार पर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने भी अपने पारंपरिक वोट बैंक को वापस हासिल करने की कोशिश की।

आप सरकार ने मुफ्त बिजली और पानी की सुविधा देने का वादा किया था, और यह इसकी सबसे बड़ी चुनावी रणनीति रही है। 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और मुफ्त जल आपूर्ति ने आम जनता को आकर्षित किया, लेकिन इसने सरकारी खजाने पर बोझ भी डाला। विपक्षी दलों का तर्क था कि इस तरह की नीतियाँ लंबे समय में टिकाऊ नहीं हैं और वित्तीय संकट को जन्म दे सकती हैं। दिल्ली सरकार ने ‘मोहल्ला क्लीनिक’ और सरकारी स्कूलों में सुधार को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। पिछले वर्षों में सरकारी स्कूलों के परिणामों में सुधार देखा गया, जिससे AAP को शिक्षित वर्ग का समर्थन मिल सकता है।

कोरोना महामारी के बाद से दिल्ली की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। छोटे व्यापारियों और बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार एक बड़ा मुद्दा रहा। बीजेपी ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की और दिल्ली में अधिक रोजगार अवसर लाने का वादा किया। इस चुनाव में सभी पार्टियों ने सोशल मीडिया, रोड शो, और जनसभाओं का भरपूर इस्तेमाल किया। आप ने अपनी ‘केजरीवाल की गारंटी’ योजना को प्रचारित किया, वहीं बीजेपी ने ‘मोदी का विश्वास’ और ‘दिल्ली को बदलाव चाहिए’ जैसे नारों के साथ चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने भी अपनी योजनाओं के तहत जनता को लुभाने की कोशिश की, लेकिन यह देखना बाकी है कि जनता उसे कितना समर्थन देती है।

चुनाव आयोग के अनुसार, दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ मतदाता हैं। इनमें 83.49 लाख पुरुष, 71.73 लाख महिलाएँ और 1,261 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, इस बार मतदान प्रतिशत 2020 की तुलना में थोड़ा अधिक रहा, जिससे यह संकेत मिलता है कि जनता बदलाव के मूड में हो सकती है।

एग्ज़िट पोल के अनुसार, आप अभी भी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है, लेकिन बीजेपी भी अपनी स्थिति को बेहतर करने में सफल रही है। कांग्रेस कुछ सीटों पर टक्कर दे सकती है, लेकिन वह मुख्य लड़ाई में नहीं दिख रही है।

इस चुनाव में एक बड़ा सवाल यह भी है कि मुफ्त सुविधाओं पर आधारित नीतियाँ कितनी कारगर हैं। आप की सरकार ने दिल्ली के लोगों को कई सुविधाएँ मुफ्त में दीं, लेकिन इससे सरकारी खर्च बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस प्रकार की नीतियाँ जारी रहती हैं, तो यह वित्तीय असंतुलन को जन्म दे सकती हैं।

दूसरी ओर,बीजेपी और कांग्रेस ने आर्थिक स्थिरता और विकास को प्राथमिकता देने की बात कही है। चुनाव के नतीजे 8 फरवरी 2025 को घोषित किए जाएंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है। यह चुनाव न केवल दिल्ली के भविष्य को निर्धारित करेगा, बल्कि यह देशभर में राजनीति की दिशा भी तय करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता किसे अपना आशीर्वाद देती है और आने वाले पाँच वर्षों में राजधानी की राजनीति कैसी होगी।

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