Editorial : आस्था का सबसे बड़ा महाकुंभ
Editorial: The biggest Mahakumbh of faith
कुंभ मेला लगातार एक माह से ज्यादा दिनों तक चलता है। नागा साधु कुंभ मेले में सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र होते हैं। इस बार किन्नर साधु भी बड़े पैमाने पर कुंभ मेले में पहुंचे हैं। कुंभ के आयोजकों और सरकार के द्वारा एक ही दिन में 3.50 करोड लोगों के स्नान करने की बात पूरे देश और दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है। कुंभ मेला क्षेत्र में साढ़े 3 करोड़ श्रद्धालु होने का जो दावा किया जा रहा है उस पर कोई भी विश्वास करने के लिए तैयार नहीं है। देश और विदेश से कुंभ मेले में शामिल होने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़े पैमाने पर इंतजाम किया गया है। धार्मिक आस्था के इस महाकुंभ में पहली बार बाजारवाद भी देखने को मिल रहा है। सरकार ने दावा किया है कि एक दिन में त्रिवेणी के तट पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर अपने पापों को धोया है। मेला क्षेत्र के लिए जिस तरह का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है उसमें सरकारी मशीनरी इंतजाम के नाम पर भारी भ्रष्टाचार कर रही है, लेकिन इस तरह से यदि सरकारी प्रचार किया जाता है तो जिस पर लोगों को विश्वास ही ना हो तो वह चर्चा का विषय बन जाता है। सारी दुनिया के देशों में इतनी बड़ी संख्या में कहीं पर श्रद्धालु एकत्रित नहीं होते हैं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। कुंभ के मेले में जाकर साधु-संतों की शोभायात्रा, तरह-तरह की ध्वजा, घोड़े-हाथी पर सवार धर्मगुरु, नागा साधुओं का त्रिशूल, भाला, गदा, तलवार और विभिन्न वेशभूषा में जो प्रदर्शन किए जाते हैं उसको श्रद्धालु देखकर रोमांचित हो उठते हैं। अखाड़े और नागा साधु-संतों को लेकर जिस तरह से श्रद्धालुओं के बीच में उनका आकर्षण बना हुआ है वह काबिले जिक्र तो हो ही गया है। देसी और विदेशी श्रद्धालु भी कुंभ के मेले में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। आस्था का सबसे बड़ा महाकुंभ में संसार का यह सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए हैं।