Editorial : इंटरनेट एवं टेक्नोलॉजी एडिक्शन
Editorial : Internet and Technology Addiction
Editorial : मोबाइल की स्क्रिन और अंगुलियों के बीच सिमटते बच्चों के बचपन को बचाना है, तो एक बार फिर से उन्हें मिट्टी से जुड़े खेल, दिन भर धमा-चौकड़ी मचाने वाले और शरारतों वाली बचपन की ओर ले जाना होगा। ऐसा करने से उन्हें भी खुशी मिलेगी और वे तथाकथित इंटरनेट से जुड़े खतरों से दूर होते चले जाएंगे। पांच वर्ष से अठारह वर्ष के बच्चों में मोबाइल, इंटरनेट एवं टेक्नोलॉजी एडिक्शन की लत बढ़ रही है, जिनमें स्मार्ट फोन, स्मार्ट वॉच, टैब, लैपटॉप आदि सभी शामिल हैं। यह समस्या केवल भारत की नहीं, बल्कि दुनिया के हर देश की है। इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग की वजह से साइबर अपराधों की संख्या भी बढ़ रही है। हमारी सरकार एवं सुरक्षा एजेंसियां इन अपराधों से निपटने में विफल साबित हो रही हैं। आज के डिजिटल युग में, माता-पिता के पालन-पोषण का तरीका भी काफी हद तक बदल गया है। ऑनलाइन सुरक्षा से लेकर स्क्रीन टाइम को प्रबंधित करने और लगातार विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य का हिस्सा बनने तक, माता-पिता के लिए खुद ही यह काफी नया सा है। मोबाइल एवं डिजिटल साइट पर कुल निर्भरता बढ़ गई है। लोग अपने फोन एवं इन्टरनेट का इस्तेमाल खाना खाते समय, लिविंग रूम में और यहां तक कि परिवार के साथ बैठकर उपयोग करते हैं। अपने बच्चों को तकनीक का उपयोग ऐसे तरीकों से करने में मदद करें जो रचनात्मकता और सीखने को बढ़ावा दें। उन्हें शैक्षिक ऐप तलाशने, डिजिटल कला बनाने या कोडिंग जैसे नए कौशल सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उन्हें तकनीक को सि$र्फ मनोरंजन के बजाय विकास एवं ज्ञान अर्जन के साधन के रूप में देखने में मदद मिल सकती है। बच्चों में बढ़ती ऑनलाइन गैमस् की आदत भी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, इसके घातक परिणाम भी सामने आ रहे हैं और लोगों के बीच इसे लेकर चिंता बढ़ रही हैं। इसलिये दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह बच्चों को ऑनलाइन गेम की लत से बचाने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने पर गंभीरता से विचार करें।