Editorial : हरियाणा कांग्रेस की सच्ची तस्वीर
Editorial: True picture of Haryana Congress
Editorial : कांग्रेस हाईकमान यह मैसेज देने में लगातार असफल साबित हो रहे हैं कि वहां चुनाव कांग्रेस पार्टी लड़ रही है और बीजेपी के कुशासन के खिलाफ जो राहुल गांधी का अभियान रहा उसी की वजह से वहां कांग्रेस की हालत अच्छी दिख रही है। कांग्रेस जब तक यह मैसेज देने में कामयाब नहीं होगी तब तक क्षत्रप अपने आप को तीस मार खां बताकर आपस में लड़ते रहेंगे। कांग्रेस राजस्थान का उदाहरण याद नहीं कर रही है। वहां केवल और केवल गुटबाजी की वजह से वह हारी।
हालांकि यह मजेदार है कि इसी हरियाणा में यही गुटबाजी खुद माकन को दो साल पहले राज्यसभा हरा चुकी है। राहुल गांधी के केन्डिडेट के तौर पर उनकी पहचान थी। मगर किरण चौधरी ने इसकी परवाह न करके माकन के खिलाफ वोट दिया। उस समय कांग्रेस का ही एक गुट किरण चौधरी को बचाने में लग गया।
कांग्रेस की अनुशासन समिति ने उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया। यह हरियाणा कांग्रेस की सच्ची तस्वीर है। वहां गुटबाजी किस स्तर तक है। इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि कुमारी शैलजा ने स्क्रिनिंग कमेटी को ओवर रूल करके अपने 90 नाम सीधे सीईसी को भेज दिए। हरियाणा में 90 सीटें हैं और इसके लिए 2556 उम्मीदवार हैं। कुछ सीटों पर तो चालीस-चालीस लोगों ने टिकट मांगा है।
2019 विधानसभा में भी हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी थी मगर गुटबाजी की वजह से ही वह 31 सीटों पर रुक गई। स्पष्ट बहुमत भाजपा को भी नहीं आया। वह भी 40 पर रुक गई। मगर जोड़-तोड़ करके उसने सरकार बना ली। उस चुनाव में अगर कांग्रेस के क्षत्रप आपस में नहीं लड़ते तो कांग्रेस जीत सकती थी।
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ऐसा ही अभी लोकसभा चुनाव में उसने सबसे अच्छा प्रदर्शन हरियाणा में किया। आधी सीटें जीतीं। मगर यह आधा सच है। अगर मिलकर लड़ते तो यह आधी मतलब पांच सीटें आठ हो जातीं। कांग्रेस की किसान समर्थक नीतियों, छोटे व्यापारी दुकानदार समर्थक नीतियों, युवाओं को नौकरी देने और हरियाणा के विकास के लिए यह चुनाव हो रहा है। हरियाणा कांग्रेस ने ही बनाया था। 1966 में और यह देश में एक विकसित राज्य का माडल बना।