Dhanteras 2023 : आयुर्वेद के जनक व चिकित्सा के देवता धन्वंतरि
Dhanteras 2023: Dhanvantari, father of Ayurveda and god of medicine.

Dhanteras 2023: धनतेरस एक ऐसा और इकलौता महापर्व है, जिसमें भौतिक समृद्धि के साथ स्वास्थ्य को भी महत्व दिया गया। कार्तिक माह में कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के अंधकार से शुक्लपक्ष के प्रकाश की ओर ले जाने वाले पांच दिवसीय दीपावली उत्सव का प्रथम पर्व धन त्रयोदशी है। इसे धन्वंतरि-जयंती के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि सनातन ग्रंथों में धन्वंतरि को सृष्टि के पालनकर्त्ता भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है, जो देवताओं और असुरों के मध्य हुए संग्राम में समुद्र से इसी दिन अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक और तन-मन के स्वास्थ्य व चिकित्सा के देवता माना गया है।
धन्वंतरि शब्द की व्याख्या में उस धनुष का बोध भी स्पष्ट होता है जो मन और बुद्धि से संचालित होता है। धार्मिक कथाओं में दो धनुषों का प्रसंग आता है। पहला कामदेव का दृष्टि-धनुष, जिससे उसने महादेव को उद्वेलित किया था और दूसरा मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के विवाह के समय जनक दरबार में शिवजी का धनुष, जिसके टूटने पर वाणी से शब्दों केप्रहार हुए थे।
मनुष्य भी यदि दृष्टि और वाणी के विकारों की प्रत्यंचा सम्भाल कर रखे और उनका सही प्रयोग करे, तो वह शिवत्व तथा श्रीराम की मर्यादा का आचरण कर सकेगा। दीपावली से दो दिन पूर्व स्वास्थ्य जीवन शैली के प्रदाता के रूप में आरोग्य, आयु तथा तेज के आराध्य देवता भगवान धन्वंतरि जी का अवतरण दिवस मनाया जाता है।
मान्यता है कि जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे, तब इनके एक हाथ में शंख, दूसरे हाथ में चक्र तथा अन्य दो भुजाओं में एक में औषधि तथा दूसरे हाथ में पीतल का अमृत-कलश था। यही कारण है कि धन्वंतरि जयंती पर आमजन बर्तन आदि खरीदता है, जबकि देवताओं के वैद्य होने के नाते आयुर्वेद जगत उनकी अभ्यर्थना करता है। धन्वंतरि संहिता आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है।
भगवान धन्वंतरि से प्रार्थना (Dhanteras 2023)
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि से प्रार्थना की जाती है कि वे समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायु प्रदान करें। आयुर्वेद मानसिक व शारीरिक रूप से पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने का ज्ञान प्रदान करता है। वैदिक काल में देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमार थे, जबकि पौराणिक काल में धन्वंतरि का उल्लेख देवों के चिकित्सक के रूप में किया गया है।
नरक से मुक्ति के पर्व नरक चतुर्दशी (Dhanteras 2023)
धन त्रयोदशी पर यदि आंतरिक शक्ति ज्ञान और विवेक के धन से शरीर रूपी कलश भर लिया जाए तो दूसरे दिन नरक से मुक्ति के पर्व नरक चतुर्दशी, फिर अमावस्या के दिन मन में आह्लाद, उत्साह, उमंग के दीप प्रज्वलित स्वतः होने लगेंगे, साथ ही शुक्लपक्ष में इंद्रियों के प्रभावित करने वाले इंद्र के प्रहार से जिस तरह गोकुल की रक्षा कृष्ण ने की थी, ठीक उसी तरह इंद्रिय रूपी कुलों से युक्त शरीर और मन की रक्षा होगी। फिर आत्मा-परमात्मा के द्वैत समाप्त होकर मन को समाधिस्थ करने में सफलता मिलने लगेगी। संसार का सबसे बड़ा धन है निरोगी काया, भौतिक सुख साथ होगा तभी समृद्धि और वैभव को भोग पाएंगे।
सुख-समृद्धि, वैभव का पर्व ‘धनतेरस’ (Dhanteras 2023)
आधुनिक जीवन में मनुष्य अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त है। उसकी कार्यक्षमता भी कम हो रही है लेकिन प्राचीन काल में ऋषियों-मुनियों ने आयुर्वेद के ज्ञान से अपने शरीर को स्वस्थ एवं निरोधी रखा, सर्वभय व सर्व रोगनाशक व आरोग्य देव भगवान धन्वंतरि स्वास्थ्य के अधिष्ठाता होने से विश्व वैद्य हैं। इसी दिन धन, वैभव, सुख-समृद्धि, वैभव का पर्व ‘धनतेरस’ मनाया जाता है। हम यह पर्व धन एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए मनाते हैं।
ध्यान रहे कि धन और समृद्ध का भोग बिना बेहतर सेहत के संभव नहीं है, लिहाजा ऐश्वर्य के भोग के लिए कालांतर में धन्वंतरि की जो अवधारणा प्रकट हुई, वह नितांत वैज्ञानिक प्रतीत होती है। इस दिन चांदी खरीदने की परंपरा है। चांदी यानी चंद्रमा, जो धन व मन दोनों का स्वामी है। चंद्रमा शीतलता का प्रतीक भी है और संतुष्टि का भी। दरअसल, संतुष्टि का अनुभव ही सबसे बड़ा धन है। जो संतुष्ट है, वही धनी भी है और सुखी भी।
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काशी में धन्वंतरि निवास (Dhanteras 2023)
धन का भोग करने के लिए लक्ष्मी की कृपा के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की भी दरकार है। यही अवधारणा धन्वंतरि के वजूद की बुनियाद है। भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म में देव वैद्य का पद हासिल है। आज भी काशी में धन्वंतरि निवास धन्वंतरि की विरासत को सहेजता प्रतीत होता है, जहां बिना शोर-शराबे के असाध्य बीमारियों के इलाज पर अद्भुत शोध कार्य होते रहते हैं।
डॉ. पवन शर्मा