नई दिल्ली। अपूर्व ओम आर्टिस्ट संस्था के संस्थापक, एवम राष्ट्रीय पुरष्कार से सम्मानित, युवा सामाजिक कार्यकर्ता श्री अपूर्व ओम जिनकी कलाकृतियां यूएनईएससीओ, संयुक्तराष्ट्र अवं अन्तराष्ट्रीय न्यायालय में प्रतिष्ठित है , को आज भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के मंत्री श्री किरण रिजी जु ने राष्ट्रीय युवा पुरष्कार से सम्मानित किया। इस वर्ष केवल 20 युवाओं को पुरे भारतवर्ष से चुना गया है जिस में अपूर्व ओम इकलौते वधिर हैं। अपूर्व के समावेशी समाज के निर्माण हेतु सामाजिक कार्य एवम विचारों के लिए उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया गया। अपूर्व का मानना है कि डिजिटल तकनीक की मदद से शिक्षण संस्थान समावेशी शिक्षा प्रदान कर सकते हैं ताकि बहरे और नियमित एक साथ अध्ययन कर सकें, जिसमें बहरे युवाओं की आवाज शामिल हो। इसके माध्यम से बाधिर को भी समाज के मुख्यधारा में लाया जा सकता है। अपूर्व यूएन में अन्य विशेष रूप से सक्षम, यूनेस्को की पहली डेफ की-नोट स्पीकर के साथ-साथ न्यूयॉर्क में जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र के ईसीओएसओ में प्रमुख वक्ता थे। अपूर्व की कलाकृति की सराहना माननीय पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी की है और उन के विचारों के अनुरूप ही समावेशी शिक्षण संसथानों को बढ़ावा देने के लिए कानूनों को उपयोगी बनाने के साथ-साथ आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के साथ डेफ सहित विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें राष्ट्रपति ने अपूर्व के इन विचारों की सराहना की और समाज को बहरे और विशेष रूप से सक्षम बनाने के लिए डिजिटल समाधान को बढ़ावा देने के विचारों को लागू करने का आश्वासन दिया था। यूएनईएससीओ, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (वर्ल्ड कोर्ट), हृस्त्र बान की -मून एवम कोफ़ी अन्नान और हृ एवम भारत सरकार के कई नेताओं ने अपूर्व के शान्तिपूर्ण समावेसी समाज बनाने के लिए उनके ढ्ढहृहृह्रङ्क्रञ्जञ्ज ्रक्रञ्जङ्खह्रक्र्यस् के साथ संयुक्त राष्ट्र के लिए अभिनव विचारों, दृष्टि एवम योगदान की सराहना की है। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर माननीय प्रधान मंत्री श्री मोदी जी के साथ योग किया था साथ ही श्री मोदी जी ने उनके हस्तकला की भी प्रशंसा की। अपूर्व ओम का उद्देश्य 12 मिलियन विशेष रूप से सक्षम बच्चों एवम युवाओं को समाज के मुख्य धरा में लाने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग हर शिक्षण संस्थानों एवम सामाजिक जगहों पर किया जाए। और इस के लिए संबाद को भाषा एवम सांकेतिक भाषा के बजाये डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किया जाए।