सत्येंद्र जैन, राम निवास गोयल और मनीष सिसोदिया के साथ क्षमवाणी पर्व में हुए शामिल

नई दिल्ली। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन बुधवार को दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष श्री राम निवास गोयल और उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया के साथ क्षमवाणी पर्व में शामिल हुए। क्षमावाणी पर्व को क्षमा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह क्षमा करने और क्षमा मांगने का दिन है और जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है।
पर्युषण पर्व के आखिरी दिन क्षमावाणी दिवस मनाया जाता है। इस दिन छोटे हो या बड़े सभी एक-दूसरे से जाने-अनजाने में किसी का दिल दुखाने के लिए हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि क्षमा मांगने के लिए हमे साल भर का इंतजार नहीं करना चाहिए, यह भाव हमारे व्यवहार में ही होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि क्रोध पर नियंत्रण करने लिए पहले यह समझने की जरुरत है की हम इंसान है। अंत में, उन्होंने साल भर के दौरान किसी का जाने-अनजाने में दिल दुखाने के लिए क्षमा मांगी। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि क्षमा से टूटे दिल फिर जुड़ जाते हैं और जीवन की गाड़ी पुनः प्रेम की पटरी पर दौड़ने लगती है। इस पर्व पर अपने आत्मिक शुद्धता के लिए सबसे अपने भूलों की क्षमा याचना की जाती है। यहां माफी मांगने का मतलब यह नहीं कि आप गलत हैं और दूसरा सही।
श्री  सत्येंद्र जैन ने कहा, “क्षमा मांगने के लिए साल भर का इंतजार नहीं करना चाहिए, यह भाव हमारे व्यवहार में ही होना चाहिए। जब भी गलती हो जाए तभी क्षमा मांग लेनी चाहिए और सिर्फ उन गलतियों की नहीं जो हमें लगे बल्कि उन गलतियों की जो दूसरे को भी लगे। अगर हमारी किसी बात से दूसरों का मन दुख रहा है, तो यह हमारा काम है कि हम उनसे क्षमा मांगे। गलती करने के बाद उसकी माफी मांगने के लिए एक साल का इंतजार नहीं करना चाहिए, हमें एक दिन में ही माफी मांग लेनी चाहिए।”

श्री  सत्येंद्र जैन ने आगे कहा, “गुस्सा हमेशा अपने से कमज़ोर पर आता है। जबकि अपने से ताकतवर पर किसी को गुस्सा नहीं आता। ऐसा भी हो सकता है कि जिसको हम कमज़ोर समझ रहे हों वो वास्तव में कमज़ोर न हो। यह दृष्टि का खेल है। हमें छोटे और बड़े का भेद समझने की जरुरत है। हमें यह समझने की जरुरत है की हम पहले इंसान है। अगर हमने यह बात हमने समझ ली तो क्रोध अपने आप ही कम हो जाएगा। किसी भी चीज के सूक्ष्म में जाने से पहले हमें प्रत्यक्ष को देखने और समझने की जरुरत है।”

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