दिल्ली में 31 अक्टूबर के बाद वाहनों के हाइपोथीकेशन के लिए किसी भौतिक दस्तावेज की आवश्यकता नहीं
यह सेवा बीते 11 अगस्त को शुरू की गई थी और लांच होने के बाद से दिल्ली सरकार की ‘फेसलेस सर्विसेज’ को आवेदकों की तरफ से जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। इस पहल के तहत वाहनों के ड्राइविंग टेस्ट और फिटनेस टेस्ट को छोड़कर परिवहन विभाग की 33 सेवाओं को पूरी तरह से फेसलेस कर दिया गया है। यह पहली बार है, जब भारत में कोई राज्य इस मामले में पूरी तरह से फेसलेस हो गया है और घर से लर्नर लाइसेंस प्राप्त करने के लिए ‘आधार’ आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली एवं फीचर मैपिंग विशेषता के साथ एआई-आधारित चेहरा पहचान तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।
हाइपोथीकेशन टर्मिनेशन (एचपीटी), जिसमें वाहन ऋण पर हाइपोथीकेशन को जोड़ना, जारी रखना और समाप्त करना शामिल है, परिवहन विभाग की सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सेवाओं में से एक है। फेसलेस सेवाओं की शुरुआत के बाद से, दिल्ली में एचपीटी के लिए 7111 आवेदन प्राप्त हुए हैं । इससे पहले, एक आवेदक को ऋण के पुनर्भुगतान के बाद हाइपोथीकेशन की समाप्ति के लिए आवेदन करना होता था, जिसके तहत आवेदक को फॉर्म 35 और बैंक से एनओसी लेकर 90 दिनों के भीतर परिवहन विभाग में जमा करना होता था। परिवहन विभाग ने फेसलेस सेवाओं के लॉन्च के बाद से आटोमेटिक हाइपोथीकेशन टर्मिनेशन के लिए पहले ही आईसीआईसीआई बैंक के साथ भागीदारी कर रखी है और वाहनों की खरीद के लिए ऋण लेने वाले 7800 से अधिक आवेदकों का डेटा प्राप्त किया है। आगामी नवंबर की शुरुआत से, किसी भी वित्तीय संस्थान से वाहन ऋण प्राप्त करने वाले किसी भी आवेदक को हाइपोथीकेशन टर्मिनेशन के लिए बैंक जाने की आवश्यकता नहीं होगी और भौतिक रूप से कोई दस्तावेज जमा करने की भी ज़रूरत नहीं होगी। एक बार जब ऋण दे दिया जायेगा या भुगतान कर दिया जाता है, तो डेटा सीधे बैंक द्वारा वाहन डेटाबेस में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जो परिवहन विभाग को एचपीटी सेवा को सत्यापित और अनुमोदित करने में सक्षम करेगा। आज की बैठक में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में बैंकों को ई-हस्ताक्षर के माध्यम से आधार आधारित प्रमाणीकरण की अनुमति देने का भी निर्देश दिया।
परिवहन मंत्री ने कहा “यह सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं कि 31 अक्टूबर के बाद हाइपोथीकेशन जोड़ने और समाप्ति के संबंध में कोई भौतिक दस्तावेज नहीं लिया जायेगा। इसके अलावा, हमने यह भी स्पष्ट किया है कि बैंकों या ऋण देने वाली संस्थाओं को आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी के माध्यम से सभी दस्तावेजों और एनओसी को सॉफ्टवेयर के माध्यम से डिजिटल रूप से जमा करना होगा, जिससे भौतिक हस्ताक्षर की आवश्यकता न पड़े। पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से दिल्ली ट्रांसपोर्ट फेसलेस हो गया है और एक बार जब सभी बैंक इस प्रकिर्या से जुड़ जाएंगे, तो दिल्ली में वाहनों के हाइपोथीकेशन की प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगी।“