कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने महाराष्ट्र के सभी छह संगठनों के साथ हाथ मिलाया

कोचिंग उद्योग की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के मकसद से कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (रजिस्टर्ड) ने महाराष्ट्र के सभी छह संगठनों के साथ हाथ मिलाया है। ये संगठन हैं प्रोफेशनल टीचर्स एसोसिएशन (पीटीए) महाराष्ट्र, महाराष्ट्र क्लास ओनर्स एसोसिएशन (एमसीओए) मुंबई, सीसीपीए ठाणे, एसोसिएशन ऑफ कोचिंग इंस्टीट्यूट (एसीआई) नागपुर, एसोसिएशन ऑफ कोचिंग क्लास ओनर्स एंड मेंटर्स (एसीसीओएम) मुंबई और कोचिंग क्लासेज एसोसिएशन (सीसीए) औरंगाबाद।

सीएफआई और संगठनों के बीच इस सहमति पत्र (एमओयू) पर किए गए हस्ताक्षर का मकसद देश में कोचिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों को बेहतर सुविधाएं देना है। मौजूदा हालात से उत्पन्न विषमताओं पर चर्चा के लिए आज आयोजित बैठक में कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के महासचिव आलोक दीक्षित, पीटीए के अध्यक्ष विजयराव पवार, पूर्व सम्मानित अध्यक्ष प्रवीण ठाकुर, पूर्व महासचिव डॉ. पी. कुलकर्णी, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष रवि शितोले के अन्य हस्तियां मौजूद थीं।

कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव आलोक दीक्षित ने कहा, शिक्षा अनिवार्य सेवा के दायरे में है, इसके बावजूद इस पर जीएसटी स्लैब के तहत लग्जरी क्लास के लिए 18 फीसदी सेवा कर लगता है। इसका आर्थिक बोझ 95 फीसदी छात्रों/अभिभावकों पर ही पड़ता है। सीएफआई सरकार से आवेदन करेगी कि छात्रों/अभिभावकों और शिक्षाविदों के हित में जीएसटी घटाकर 5 फीसदी किया जाए।

बैठक में एक सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया, जिसमें पीटीए के संस्थापक अध्यक्ष (प्रवीण ठाकुर सरन) को सीएफआई में राष्ट्रीय संरक्षक और पीटीए के पूर्व महासचिव (डॉ. पी कुलकर्णी) को शिक्षा के क्षेत्र में चौमुखी योगदान के लिए सीएफआई की ब्रेन स्टोर्मिंग समिति के तौर पर नियुक्त किया गया।
उन्होंने कहा, हम सभी जानते हैं कि कोविड महामारी ने कोचिंग संस्थानों को बहुत बड़ा झटका दिया है और एक करोड़ से अधिक शिक्षाविदों की आजीविका को प्रभावित किया है। देश में 7.25 लाख पंजीकृत कोचिंग संस्थान हैं और 50 लाख कोचिंग शिक्षक तथा अन्य कर्मचारी इनसे जुड़े हुए हैं। साथ ही एक करोड़ से अधिक ऐसे शिक्षित लोग हैं जो अपनी आजीविका के लिए प्राइवेट ट्यूशन पर ही निर्भर हैं। व्यापक नजरिये से देखा जाए तो पांच करोड़ से अधिक नागरिक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोचिंग उद्योग से जुड़े हुए हैं।

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