जहरीली हवा की लहर में “सुलगती जिंदगी “

"Smoldering life" in the wave of poisonous air

"Smoldering life" in the wave of poisonous air
“Smoldering life” in the wave of poisonous air
  • रविंद्र कुमार

पर्यावरण जीवनशैली का एक अभिन्न अंग है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। परन्तु ये सच जानने के बावजूद भी पर्यावरण को स्वच्छ करने या बनाये रखने के लिए सिर्फ सराकार व कुछ संस्थान ही जिम्मेदार नहीं हैं। क्योंकि हर वर्ष शीत रितु आते ही दिल्ली NCR की परिवेश हवा की गुणवत्ता का स्तर नीचे गिरने लगता है और फिर हर तरफ अखबार, समाचार चैनल पर बहस और लोगों की चर्चा का विषय मात्र बनके रह जाता है।

आप बड़ी आसानी से अपने आस-पास देख सकते हैं चाहे मेट्रो, बस, टैक्सी या निजी वाहन का सफर हो। जैसे ही घर से बाहर निकलते है AQI ध्यान में आ-जाता है| फिर शुरू होती है निन्दा करने की बातें और तुलना करते हैं यूरोप के देशों पेरिस, स्विट्ज़रलैंड इत्यादि से कि वहाँ कितना साफ-सुनहरा वातारण रहता है और यही सिलसिला सालों से चलता चला आ रहा है।

पर खराब AQI को सुधारने के बारे में सोचना ही नहीं, बल्कि अपनी भागीदारी निभाना ज्यादा मददगार- साबित होगा। आकलन हेतु आप पहले अपने स्तरमात्र से कोशिश करें तब पायेगें कि AQI को इस स्तर तक पहुंचाने में मेरा कितना योगदान है। फिर अपने आस-पास देखें यदि कोई कचरे के डेर जलाता दिखे तो पहले उसे जागरुक करें न माने तो उचित ऐजेंसी को सिकायत करें और खुले में अलाव न जलाये, वाहन ज्यादा धुआं दे रहा है तो उसकी मरम्मत करवाके ही सफर पर निकलें।

हाल ही में पराली जलाने की घटनाएँ न्यूज़ चैनल की हेडलाइन बनी हुई हैं और अब तो किसानों की पराली के लिए भी पैसा मिल रहा जो पहले जलने से वायु प्रदूषण करती थी अब ‘जैविक गैस’ को बनाने में उपयोग हो रही हैं। इसकी जागरुकता बच्चों, महिलाओं से लेकर बडों तक होनी चाहिए। जिससे कि आमजन भी ‘अपशिष्ट से धन’ मिशन (Waste to Wealth Mission) का लाभ उठा सकें जो देश के विकास में अहम भूमिका निभायेगा।

बहती पवन के झोंके, सासों को महके
रगों में लहू बनके, जिन्दगी जीने को चहके

लगा है डेर हर ओर, सुलगती सांसों का
जूझ रही हैं जिंदगी यहाँ, पनपती राहों का

घोलकर जहर हवा में, ताजी सासों को तरसे
जिंदगी के खेल में, जीवन जीने को तरसे।।

जैसे हम अपना घर स्वच्छ रखते है और यदि गंदगी फ़ैल भी जाये तो पड़ोसी साफ करने नहीं आता उसे हमको ही साफ करना पड़ता है। इसी प्रकार यदि देश, शहर गंदा हो रहा है तो स्वच्छ एवं सुंदर बनाने की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ उसमें रहने वाले नागरिकों एवं कारखाना चलाने वालों की भी है सबके प्रयास से ही देश के विकास की रफ़्तार बढ़ेगी।।

रविंद्र कुमार
संयुक्त निदेशक
पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ
(पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय)

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