“अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता” – निखिल यादव

"Relevance of Swami Vivekananda in Amrit Kaal" - Nikhil Yadav

"Relevance of Swami Vivekananda in Amrit Kaal" - Nikhil Yadav
“Relevance of Swami Vivekananda in Amrit Kaal” – Nikhil Yadav

Book Review : अपने शीर्षक “अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता” के अनुसार यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के कार्य और विचारों पर आधारित है, जो आधुनिक भारत के लिए अमृत कल में मार्गदर्शन का कार्य करेगी। इस पुस्तक के माध्यम से जहाँ एक ओर अपने पाठकों को “स्वामी विवेकानंद के जागृत भारत की परिकल्पना से अवगत करवाएगी तो वहीं दूसरी तरफ युवाओं के जीवन में स्वामीजी की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डालेगी। उनके “विश्व बंधुत्व के संदेश” और महामारी के दौरान लिखे गए ‘प्लेग मेनिफेस्टो” जैसे महत्वपूर्ण विषयों की उपयुक्तता विषय सम्मिलित की गई है।

पुस्तक में स्वामी जी के जीवन से जुड़े हुए अनेकों रोचक प्रसंग और जानकारियां शामिल है, जो हमे उनके और करीब ले जाती है तथा उनसे जुड़ी हुई अनेकों भ्रांतियों का निवारण करती है। स्वामीजी के जीवन काल के दौरान और बाद में अनेकों महान विभूतियों पर उनका प्रभाव दर्शाया गया है जिनमें बाल गंगाधर तिलक, भगिनी निवेदिता , महात्मा गांधी , नेताजी सुभाष चंद्र बोस और श्री नरेंद्र मोदी शामिल है। इसके अतरिक्त “योग” और “भारत की विविधता में एकता” विषय पर है जिसमें पाठकों को स्वामीजी के योगदान के साथ – साथ इन विषयों से जुड़ी हुई भ्रान्तियों का भी उत्तर देने का प्रयत्न किया गया है। अंतिम अध्याय G20 देशों में स्वामी विवेकानंद जी के वैचारिक पदचिन्ह विषय  पर है।

इस पुस्तक का उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के जीवन चरित्र,  दर्शन और उनके प्रभाव को आम जनमानस तक आधुनिक सन्दर्भ के साथ प्रस्तुत करने का है जो अमृत काल में एक ऊर्जा के स्त्रोत के तौर पर कार्य करेगी। इस पुस्तक के माध्यम से 21वीं शताब्दी के पहले 2 दशकों में स्वामीजी के बारे में उत्पन्न हुई जिज्ञासाओं और प्रश्नों पर भी शोध पूर्ण प्रकाश डाला गया है। अन्तोत्वगत्वा यह पुस्तक अमृत कल में आनेवाली अनेकों चुनौतियों को स्वामी विवेकानंद की दृष्टि से समाधान ढूंढ़ने का प्रयास करती है, जो की भारत की नयी पीढ़ियों को नवीन उच्चाईया प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। स्वामी विवेकानंद के जीवन का केंद्र बिंदु भारत था  इसलिए इस पुस्तक के माध्यम से हम भारतीय होने पर और गर्व करेंगे।

पुस्तक का नाम –  “अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता*
लेखक – निखिल यादव
शुल्क – 220
पेज – 154
ISBN – 978-93-95396-52-3
लेखक परिचय – निखिल यादव,युवा प्रमुख, विवेकानंद केंद्र , उत्तर प्रान्त
पीएचडी शोधार्थी , विज्ञान नीति अध्ययन केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button