रक्षाबंधन से जुड़ी मजेदार और मीठी याद
छवि पांडे (सोनी सब के ‘तेरा क्या होगा आलिया’ में तारा)
‘‘हम तीन बहनें और एक भाई हैं। मैं सबसे छोटी हूँ, इसलिये मुझे हमेशा सबसे ज्यादा प्यार मिला। रक्षाबंधन से जुड़ी मेरी एक बहुत मजेदार और मीठी याद है। हर साल रक्षाबंधन पर मेरा भाई मुझे मेरी बहनों से सबसे अनोखा तोहफा देता था और इस कारण मेरी बहनें लड़ाई करती थीं। अब चूंकि मैं मुंबई में काम करती हूँ और मेरा भाई कोलकाता में रहता है, तो मेरे शूटिंग शेड्यूल के कारण मेरा उससे मिलना कठिन होता है। हालांकि हर साल परंपरा के अनुसार मैं उसे राखी भेजती हूँ और वह मुझे शगुन के तौर पर 101 रू. देता है। मैं हर साल उससे यही मांगती हूँ, न एक रूपया कम, न ज्यादा।’’
‘तेरा क्या होगा आलिया’ में छवि के परफार्मेंस और रोल पर उनके भाई क्या सोचते हैं, इस बारे में उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने उसे बताया कि मैं सोनी सब के शो ‘तेरा क्या होगा आलिया’ में तारा का रोल करूंगी, तो वह थोड़ा चौंक गया था, क्योंकि एक तरह से वह किरदार नकारात्मक था। उसने मुझे कभी किसी शो में विरोधी भूमिका में नहीं देखा था। हालांकि उसने मेरा समर्थन किया और मेरे लिये ‘तेरा क्या होगा आलिया’ को देखना शुरू किया। अपने परिवार से इतना प्यार और समर्थन मिलना दिल को ठंडक देता है।’’
अक्षय केलकर (सोनी सब के ‘भाखरवाड़ी’ में अभिषेक)
मेरी बहन के साथ मेरा रिश्ता बहुत खास है, जिसमें बहुत सारी लड़ाई और प्यार है। हर रक्षाबंधन पर हम उस दिन एक-दूसरे से नहीं लड़ने का वादा करते हैं (हंसते हुए)। हालांकि दिन खत्म होने तक किसी न किसी बात पर हमारी लड़ाई हो जाती है। लेकिन उससे हमारा रिश्ता खास होता है। मैं अभी मीरा रोड़ में रहता हूँ, जो शूटिंग के सेट के पास है, लेकिन ठाणे के मेरे घर से दूर है। मौजूदा स्थिति के कारण ऐसा लगता है कि इस साल हमें वीडियो कॉल पर रक्षाबंधन मनाना पड़ेगा। पिछले साल मैंने उसे एक घड़ी दी थी, लेकिन वह उसके साइज की नहीं थी, तो उसने रिप्लेस करने के लिये कहा, लेकिन नई घड़ी भी उसके साइज की नहीं निकली। तो उम्मीद है कि इस साल मैं उसे ऐसी घड़ी दूंगा, जो उसे फिट आ जाए।’’
अक्षिता मुदगल (सोनी सब के ‘भाखरवाड़ी’ में गायत्री)
मेरा भाई हमेशा मेरे साथ रहा है और उसने पूरी जिन्दगी मुझे सपोर्ट किया है। मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे इतनी फिक्र करने वाला और समझने वाला भाई मिला। कभी-कभी शूटिंग से लौटने के बाद मेरा कुछ खाने का मन नहीं होता है, लेकिन वह मुझे हल्दी का दूध तो देता ही है और बड़े प्यार से खाना खाने के लिये मनाता है। मेरे स्ट्रगल के दिनों में भी मेरे भाई ने पूरे परिवार को संभाला। मैं और मेरी माँ मुंबई में रहते थे, मेरे पिता की पोस्टिंग कहीं और थी और मेरी बहन होम टाउन में थी। मेरा भाई सभी जगहों पर जाता था, हर चीज को मैनेज करता था और सुनिश्चित करता था कि सब ठीक रहें। उसने मेरी पूरी जिन्दगी में एक पिता की भूमिका निभाई है। रक्षाबंधन का दिन भाई और बहन के बीच के रिश्ते का उत्सव है। इसलिये इस साल मैं अपने भाई को कुछ खास तोहफा देना चाहती हूँ और घर पर भी खास खाना बनेगा।