बैंकों पर लोन बांटने का बढ़ रहा दबाव
कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों कई बड़े फैसले लिए। रिजर्व बैंक ने उन उपायों से सिस्टम में लिक्विडिटी को बढ़ाया है, जिसका एकमात्र मकसद है कि बैंक सस्ती दरों पर ज्यादा से ज्यादा लोन बांट सके। आरबीआई (RBI) इसके जरिए डिमांड में तेजी लाना चाहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों से कहा है कि वह रोजाना रिपोर्ट दे और बताए कि कितना लोन बांटा जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने 17 अप्रैल को बैंकों को चिट्ठी लिखकर कहा कि वे इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें कि रोजाना कितने लोन बांटे जा रहे हैं। रिपोर्ट में इसका विशेष ध्यान रखा जाए कि किन सेक्टर्स को ज्यादा लोन बांटे जा रहे हैं और किन सेक्टर्स से ज्यादा डिमांड आ रही है। पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने रीपो रेट में 75 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी। इसके अलावा रिवर्स रीपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई। सभी तरह के लोन पर तीन महीने का मोराटोरियम पीरियड दिया गया है। इन उपायों की मदद से रिजर्व बैंक सिस्टम में लिक्विडिटी इन्फ्लो कर रहा है जिससे लोन सस्ता हो और मांग के कारण विकास में आई सुस्ती में तेजी आए। कोरोना के कारण देश में 40 दिनों का लॉकडाउन जारी है। उद्योग धंधा बंद है जिसके कारण 1 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। बैंक इस हालात में लोन बांटने से कतरा रहे हैं। ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जो कोरोना और पहले से चली आ रही मंदी से प्रभावित ना हो। ऐसे में बैंकों को डर लग रहा है कि अगर खुलकर लोन बांटे गए तो बैड लोन का बोझ और ज्यादा बढ़ जाएगा। भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर पहले से ही 140 अरब डॉलर के बैड लोन का भारी बोझ है। ऐसे में वे अभी किसी भी सेक्टर को लोन बांटने से घबरा रहे हैं। हालांकि वित्त मंत्री से मिले आदेश के बाद कुछ बैंकों ने इस रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। कई बैंक ब्रांच के हिसाब से लोन बांटने का टार्गेट दे रहे हैं। अगर कोई ब्रांच लोन बांटने का टार्गेट नहीं मीट कर रहा है तो ब्रांच मैनेजर से सवाल-जवाब किए जा रहे हैं।